आज
५ अगस्त है ,सबके लिए खुशियों का त्यौहार ,क्योंकि आज रक्षा -बंधन है ,ऑफिस से अभी घर आया हूँ ,अब थकावट महसूस नहीं होती ,आदत जो पड़ गई है ,सैलरी भी आ गई है ,चारो तरफ एक नई रौशनी नज़र आ रही है ,पर यह क्या मैं जेसे ही घर पर आया ,मेरी बुआ ,बाबा की बहन सब रो रहे है ,कुछ देर तक तो बस यहीं सोच था रहा की यह सब क्या हो रहा है ??? दिमाग अब घुमने लगा ,
दिमाग की नसें मानो फटने के
लिए तैयार हो ..........फिर आँखें चारो और दौडाई तो देखा तो
मेरे दादा ...........वो तो ५ महीने पहले .....अरे हाँ ..अब आप मुझे निकम्मा आदि कह
सकते है ,घर
के उस सदस्य को मैं कितनी आसानी से भूल गया जो मरते दम तक मेरे साथ रहा ,मेरे सबसे करीब ....मेरे बाबा ......बाबा की बहन नीचे बैठी हुई है ,हर बार
की तरह बहुत सारी मिठाई लाई है पर बैग में ....यह क्या राखी सिर्फ एक ..दो नहीं .... पूछा और अचानक सब कुछ बिखरने लगा ,टूटकर ..........क्योंकी बाबा नहीं है ,सिर्फ यादें है ,
वो यादें जो चुभती है ,वो रुलाइयां है जो ज़िन्दगी भर के लिए है ,मेरे साथ मेरे परिवार के लिए इसीलिए आज सलाम ज़िन्दगी में कोई सफलता असफलता का लेख नहीं है अपितु वो
लेख है जब आप का घर का सदस्य जिसने
आपको पाला पोसा है ...वो हमेशा
हमेशा के लिए आप से बेहद दूर चला जाए ,भगवान के पास .........जहा से
वो आप को तो देख सकते है ,पर आप उनको नहीं .....पिछली बार वो मौजूद थे पर इस बार वो ...????
आगे वो लेख है जब बाबा का स्वर्गवास हुआ था ,.......ज़रूर पढ़े
अब वो कभी नहीं भागेंगे मुझे मारने के लिए .....आशीष जैन
कल रात मेरी जिंदगी की सबसे खतरनाक रात रही ,जिसने कई दर्द ना सिर्फ मुझे बल्कि मेरे पुरे परिवार को दे दिए,रात के 12.20 बज रहे थे अपने ऑफिस से रोजमर्रा की तरह मैं निकल पड़ा घर के लिए ,मै नामालूम दर्द से बेहद दूर .कल व्रत था इसीलिए घर पर आकर सबसे पहले खाना खाता हूँ गली में जेसे है कदम रखता हूँ ना जाने क्यों मम्मी को केसे पता लग जाता है,हा कल भी ऐसा ही हुआ था हर बार की तरह थका हारा जेसे ही घर में कदम रखा मां ने दरवाजा खोला दरवाजा खोलने से पहले ही मेने सवाल किया की खाने में क्या बनाया है,मम्मी ने कहा
की पहले अन्दर तो चल,घर में जेसे ही घुसा तो अम्मा ने बुला दिया कहा की एक बार अपने बाबा को तो देख ले .मैं थका हारा था इसीलिए बेमन से कमरे के अन्दर चला गया.जाकर कमरे में बैठ गया,बाबा सर झुका कर नीचे की और बैठे हुए थे.अम्मा ने कहा की पता नहीं क्या होगया बाबा को बाबा को सांस
की परेशानी होने के कारण बाबा एक गोली खाया करते थे कल भी ऐसा ही किया ,मुझे सच में नहीं पता था की तबियत और बिगड़ जायेगी ,मैंने कहा की ठीक हो जायेगी ,गोली खा लेंगे चिंता मत करो यह कह कर मैं अपने कमरे के अन्दर चल गया वहा व्रत का खाना खाया ,अभी मैंने पानी का गिलास नीचे रखा ही था की पता चला की बाबा का स्वर्गवास हो चुका है ,मैंने बाबा को पूरा चेक किया की कही कोई आस बाकी हो लेकिन नाकामी ने मेरे परिवार एक बड़ा सदस्य छीन लिया जो अब कभी वापस नहीं आएगा कभी नहीं मैं घर में बड़ा लड़का हूँ इसीलिए रोने का हक मुझे नहीं है शायद यह मेरी बदकिस्मती है ,सबसे बड़ा पोता होने के नाते में अपने बाबा का लाडला था जिन्होंने बचपन से लेकर अब तक मुझे बहुत प्यार दिया ,लेकिन कभी बोल नहीं पाए की वो मुझे कितना प्यार करते है,लेकिन मेरे पडोसी बताते है की मेरे पैदा होने पर आँखों में खुशियों के आंसुओं को लेकर सीने से छिपा लेने की आदत बन गई थी उनकी जिसके कंधे पर बैठकर मैंने झूला झूला , उसी शरीर को मैं अब कंधा दे रहा था, मैं बाबा के गालो को खीचकर हमेशा भाग जाया करता था उसके बाद वो मुझे मारने के लिए पीछे भागते थे,आज जब अर्थी को ले जाया जा रहा था मैं उनके गालों को खीच रहा था की शायद वो मुझे मारने के लिए भागे लेकिन बाबा नहीं उठे फिर अंत में एक प्यारा सा स्पर्स बाबा के गालो पर छोड़ दिया,,,क्योंकि बाबा अब कभी नहीं जागेंगे ,अब वो कभी नहीं भागेंगे मुझे मारने के लिए..........शायद मैं निर्दोष नही रह गया .
comment plz.
अच्छा लगा, आपने खूब लिखा पर, काफी देर तक मैं खो सागया लेकिन सच्चाई यह भी है कि मैं यहाँ अपने गुरू की खेर खबर की सोच के आया था उनका नाम भी कुछ ऐसा ही है हर कोई जानता है उन्हें किसी से पूछना नहीं, अन्यथा समझेगा आप नये हो,
मार्मिक रचना इसे कहानी कहूण्ण या संसमरण ये नहीं जान पाई बहुत भावपू्र्ण आभिवयक्ति है
maza aagay aashish ji
maza aagay aashish ji
maza aagay aashish ji
very true ashish...kuch yaadein jo khushi deti hai to kabhi aankhein bhigo bhi jati hai..apne bhav ko bahot ache se shabdo mein piroya hai
acha hai dost.... good
"मैं घर में बड़ा लड़का हूँ इसीलिए रोने का हक मुझे नहीं है शायद यह मेरी बदकिस्मती है "
mann ko chu gya,
यहां आया था कुछ और लिखने, मगर कमेंट्स पढ़कर बहुत दुख हुआ.. मैं इसे संस्मरण ही मान कर चल रहा हूं और उसी नजरीये से देख भी रहा हूं.. लेकीन यहां सभी अपना ब्लौगिय आत्मियता दिखाते हुये किसी को मजा आ गया तो कोई इसे बढ़िया बता रहा है..
आगे और कुछ ना लिखूंगा.. बस इतना ही कहूंगा कि चाहे मेरा कमेंट आपको मिले ना मिले, मगर मेरी नजर आपके हर पोस्ट और कमेंट्स पर रहती है..