मीडिया में कास्टिंग काउच --सलाम ज़िंदगी पर



सलाम ज़िंदगी पर जल्द रहा है जरूर पढ़िएगा .......मीडिया में कास्टिंग काउच ..... http://salaamzindagii.blogspot.com/
धंधा है पर गन्दा है ये !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!....हमारे साथ
न्यूज़ रूम का कन्यादान --राहुल की शादी जिंदाबाद ...जय हो !!!!!
                                          
राहुल की शादी है और जश्न है हिदुस्तान का ... दूसरी तरफ इस चकाचौंध से बहुत दूर एक गावं है जहाँ कुछ देर पहले एक साधू  आया था ,पता नहीं क्या हुआ ,वहा अब सन्नाटा पसरा हुआ ,पीछे से एक मां की कराहने की आवाज़  आ रही है जिसकी रुलाइयां है जो रोके रुक नहीं रही ,वो सन्नाटे से आगे निकल कर उस आस्था पर सवाल उठा रही है जिसे वक्त वक्त पर कोई


न कोई साधू उसकी असफलता के साथ जोड़कर उसके पल्लू से बाँध देता है और फिर राम के नाम में विश्वास जताता है, वो एक रुमाल एक लौटा और बीस रूपये बाटता है तभी एक चीख पुकार आती है ,
कई लोग बदहवासी में इधर उधर भागने लगे ,भीड़ अपनों और परायों में भेद नहीं कर पाई और फिर हर तरफ मातम ,लोग बिखरे हुए थे ,देश की संसद के साधुं अपनी सियासत को खीच कर  उस मां के खंधे पर हाथ रख रहे है,लेकिन वो आका भी  सफलता और असफलता के बीच फस रहे है ,बड़ी बड़ी गाडिया इससे पहले उस जगह कभी नहीं आई ,उस मां ने इतने करीब से इन लोगो को कभी नहीं देखा,एक सवाददाता तभी तल्खी से माइक निकालकर यह बात कहता है,हमने कई सालो से आपको कई खबरें दिखाई है लेकिन आज मैं इन लाशों के बीच
मौजूद है तभी वो सवाददाता अचानक अपनी ptc  ख़त्म कर देता है और वो कहता है आज मेरे पास शब्द नहीं है ,उसकी आँखों में आंसू है ,जो दर्शक जानता है ,वो  फूट फूट कर रोता है,  
आस्था ने एक बार फिर कुछ छीन लिया,कईयों का परिवार वीरान हो गया,बस यादें रह गई ,जिन्हें समेटना बहुत  मुश्किल है,लेकिन उस बाबा का क्या ? उस मां को अब वो बीस  रूपये भी याद नहीं ...जो  बाबा ने उसको दिए  थे उसे तो अपने बेटे की वो हथेलियाँ याद है जो उस बाबा ने छीन ली ... जो वक्त वक्त पर कई चैनलों पर भी  दिखता है,वो बताता है आस्था एक  बहुत बड़ी  चीज़ है,वो राम का नाम लेता ,और सलाह देता है कर्म करते जाओ... वो भंडारे में पैसे बाटता है दूसरी  तरफ  टीवी  न्यूज़ चैनलों में चहल कदमी है ,लोग माथे पर हाथ  रखकर बैठे हुए ,आखिर ये हो क्या हो रहा है,बड़े बड़े न्यूज़ संस्थानों में माथे की नसें फटने वाली बहसे हुई ,ख़बरों पर या शादी पर,हम किस पर बने रहेंगे,यह एक टीसने वाला सवाल था ,ख़बरों  और तमाशे में कोई  तो अंतर होना चाहिए, तभी रन डाउन  से आवाज़ आई ,सर क्या करूँ, क्रपालुं महाराज वाली खबर गिरा दूँ ,लगता है चलेगी नहीं ,यह वही खबर थी जिस पर राहुल गाँधी ,राजनाथ को ज़मीं से जुड़े होने की याद आ गई थी,और इतिहास गवां है इससे पहले इतनी गाड़ियां  उन गरीब लोगो के बीच  कभी नहीं देखी  गई ,और उतर प्रदेश  का मतलब तो आप जानते है ...मायावती कह रही है हमारे पास उन लोगों को देने के लिए पैसा नहीं है !तीसरी तरफ  एक सर सरी आवाज़ ,कपाने वाला संगीत ....... राहुल महाज़न पत्नी वियोग और चाचा के जाने से आहात से  बहुत  दूर होकर  नुमाइशों  में बिजी है , जहाँ कुछ लडकिया और एक लड़का और बहुत सारे कैमरे है,  जो  चकाचौंध रौशनी के सामने अपनी ज़िन्दगी में किसी को दाखिल करने के लिए आई है ,,राहुल महाज़न दूल्हें के रूप में दुबारा एक शानदार किरदार निभा रहे है  कुछ देर बार वो वरमाल पहनाएंगे ,तभी देश की सभी खबरें अचानक गिरने लगी ,सभी चैनल शादी की खबर पर  आ गये,बड़े बड़े ग्राफिक्स  के साथ राहुल महाजन का स्वयंबर जारी था ,  
पत्रकारिता के दिग्गज यह बात जानते थे की खबर बिकेगी ,और सही भी था ,विदेश नीतिया ,बाबा,महिला आरक्षण,पाक वार्ता पर राहुल महजान हावी हो गए ......भारतीय समाचार  नीति की ऐसी दूरदर्शी आलोचना की तरह देखा  जा रहा है जिस पर पहले किसी की नजर न पड़ी तो इसके पीछे लोगों का अज्ञान ज्यादा है,...      .इस तरह की ख़बरों  की उत्कृष्टता कम. अन्यथा हाल के वर्षों में भारत में और दुनिया भर में  टी वी को लेकर जो बुनियादी बहसें चल रही हैं,न्यूज़ चैनल राहुल महाजन की खबर को इस तरीके से दिखा रहे थे मानो कन्यादान उन्ही को करना हो ,....असल में यह चमकता-दमकता समाचार व्यवसाय  ही है जो कभी बाबा की खबरों के जरिये उस मातम में मौजूद उस मां के  कराहने को  दिखाता और सुनाता है जो आज भी सुबक रही है तो कभी जाला लगी डिबेट न्यूज़ पर संदेह करता है और ‘राहुल महाजन की शादी ’ दिखाकर भारत और उसमे न्यूज़ होने का मतलब समझाने की कोशिश करता है. शायद trp system  उसे इस बात की इजाज़त और इज्ज़त दोनों देता है जिसके सहारे वो न० 1  बन जाता है,वो  अच्छी खबरों को दिखाकर  मुश्किल रास्ता नहीं चुनता,जरूरी बहसों में शामिल होने की फुरसत नहीं निकलता वो सरलता के साथ खड़ा होकर  राहुल महाजन के साथ दिखता है .वो जानता है की वो गलत है तभी  वो अपनी गिरेंबां में झाकने के लिए वो खबरें चलाता है जो उसकी बौद्धिक खुराक पूरी करती हैं...इस लोकप्रियता को समाचार माध्यम भुनाना चाहें, यह समझ में आता है क्योंकि उनका यह तमाशा बिक्री और कारोबार से जुड़ा है. लेकिन यह लोकप्रियता जिस तरह हमारे समूचे सामाजिक ,साहित्यिक-सांस्कृतिक माहोल  पर छा रही  है, इससे कुछ डर सा लगता है. लगता है, जैसे हम एक ग्लैमर माहौल में रह रहे हैं जहां एक बाजारू बौद्धिकता चीजों का मूल्य तय कर रही है. अगर वह बाजारू न होती तो लोकप्रियतावाद से इस कदर अभिभूत न होती. इस बात को कुछ आगे बढ़ाने से बात ज्यादा खुलेगी ..  अफ़सोस है की बौद्धिक व्यवस्था पर उस व्यवस्था का कब्ज़ा है जिसे कोई और तय करता  है ,जिसके मानक एक सिरे से खारिज होने जरुरी है ,वरना ऐसी शादिया होती रहेंगी,जिसमे हर कोई कलाकार है ,और न्यूज़ का तमगा सिर्फ यहीं तक सीमित रह जायेगा ...असल में यह एक हताश कर रख देने वाला जवाब है की बाज़ार हमारी खबरों को तय कर रहा है  कहीं न कहीं सवाल एकाधिकार का है जो बाज़ार से जुड़ा हुआ है ,जो वक्त वक्त पर बार फूट फूट  रहा है ,
 मैं तो बस इतना कहूँगा राहुल महाजन तुम धन्य हो .....
तमाशे के इस सामान पर आगे आये --अपनी प्रतिक्रिया जरुर दें 

फेसबुक  पर trp  का विरोध दर्ज कराये





आशीष जैन
सलाम ज़िन्दगी






salaamzindagii.blogspot.com
न्यूज़ 24 के मेनिजिंग एडिटर श्री अजित अंजुम ने कहा ...अशोक जी के मुद्दे पर आप भी आये ...





पत्रकारिता में एक नयी मिसाल ,स्वर्गीय अशोक उपाध्याय के जाने के बाद उनके परिवार की आर्थिक

हालत की ख़राब हालत पर एक शानदार मिसाल पेश करते हुए न्यूज़ 24 के मेनिजिंग एडिटर श्री अजित अंजुम लोगो से अनुरोध कर रहे है की सभी लोग अशोक जी के परिवार का साथ दें ..उनका कहना है "वॉयस ऑफ इंडिया के एक टीवी पत्रकार अशोक उपाध्याय की मौत ने एक परिवार को तोड़कर रख दिया है . मुझे पता चला है कि उनके परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं है . उनकी पत्नी अस्थाई टीचर की नौकरी करती हैं , जिनका कांट्रेक्ट इसी महीने खत्म होने वाला है . ए
क मासूम सा बेटा है और सामने पहाड़ सी जिंदगी . क्या हम -आप मिलकर इस परिवार की कुछ आर्थिक मदद नहीं कर सकते हैं . बूंद -बूंद से घड़ा भरता है . मदद करेंगे आप ?"
एक पत्थर तबियत से उछालो यारों आसमान में भी छेद हो जायेगा .....
अब सवाल आपको करना है ...आगे आये ...आज इस परिवार को आप की जरुरत है ,क्यों मदद करेंगे न आप ??




आप नोएडा में न्यूज 24 के दफ्तर तक अपना कंट्रीब्यूशन पहुंचा दे .,अपनी सहायता राशि को एक लिफ़ाफ़े में बंद कर उस पर अजित अंजुम जी का नाम लिख दें

प्रार्थी
आशीष
सलाम ज़िन्दगी टीम
salaamzindagii.blogspot.com





Labels: 0 comments | | edit post
THE REAL TRUTH OF LIFE -NISHANT SPEAK
THIS IS NOT A END......IT CAN NEVER BEEN A END ...LIFE IS A JOURNEY AND THE MOMNENT IS LIVED TOGETHER ….LOVE ,JOY ,HAPPINESS,SORROW,PAIN &THE BATTLE FOR TOGETHER ARE THE AMBITION OF HUMAN IT CANNOT BE ACHIEVED ALONE…….
WE LIVE ON WORLD EXIST AROUND US AND IN OUR THOUGHTS ,DREAMS AND IN OUR GOALS….

WE CAN NOT CRY BUT WE SHALL
QUIETLY ,SMILES ON THE WAY YOU LEFT YOUR MORALS WHICH REMAIN AS LIVE FOREVER AND THAT SHOWS THE SPIRIT OF SOUL THE MOTTO OF YOUR LIFE SHOULD BE………………
LIFE AS THERE NO TOMORROW……..
MISS U ASHOK SIR …….


NISHANT CHATURVEDI


अशोकनामा - एक संघर्ष ....
सपनो का अपना महत्व होता है ...आगे जो लेख लिख रहा हूँ ...वो पूरी तरीके से काल्पनिक है ....मेरा कोई भी मकसद नहीं की मैं आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचाऊ ,इसे दिल से लगाकर पढियेगा ...अगर आप स्वर्गीय अशोक उपाध्याय से जुड़े हुए थे ...तो आपकी आँखें भी नम होंगी ..


अशोकनामा -एक संघर्ष
{ काल्पनिक लेख }


देगा किसी मक़ाम पे ख़ुद राहज़न का साथ

ऐसे भी बदगुमान न थे राहबर से हम
माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार कर सके
कुछ ख़ार कम तो कर गये गुज़रे जिधर से हम.
नमस्कार मैं हूँ अशोक उपाध्याय,यानी एक शांत आवाज़....... मैं आपके सामने एक बार फिर हाज़िर हूँ....इस बार कोई खबरें नहीं ....,मेरे मातम में आप सभी का स्वागत है ....यह मातम आपके और मेरे ख़्वाबों का नहीं ,......यह मातम है उन लोगो के ,उस विश्वास का जो मेरे साथ कही चला आया ....यह मातम ज़ज्बात का है ,यह मातम सपनो का है ...मातम उन दिलासाओ का है जो मैं हर वक्त हर किसी को देता रहा है .....मातम है मेरा ...और आपकी रुसवाई है ...बस और कुछ नहीं ...क्या सोच रहे हो की मैं कहा हूँ,....सच कहूँ तो मैं भी नहीं जानता की मैं कहा पर हूँ ...यह सब कैसे हुआ .नहीं मालूम..आंखों में धुंधलाहट है ,लेकिन कुछ दिख तो रहा है..... बस इतना मालूम है की मैं आप सबको देख पा रहा हूँ .....मेरी टीम ,
मेरे दोस्तों और प्यारे परिवार .....अपना ख्याल रखना ......मैं तुम्हारे साथ हूँ ,आपके ज़ेहन में हूँ ,आपके जज्बात में हूँ मेरे साथ काम करने वाले उस हर व्यक्ति के साथ हूँ जो मेरे साथ किसी न किसी रूप में हर वक्त मौजूद रहा ,अपने परिवार के दिल में हूँ ,मैं अशोक उपाध्याय हूँ,......उस वक्त जो भी हुआ था नहीं मालूम,बस इतना जानता हूँ की अपने बेटे का वो हाथ .....जो मेरे गाल को खीच रहा था,मैं तो बस इतना जानता हूँ की मेरी पत्नी के ....उस सपनो को जो आंसू बन कर उस वक्त मेरे सीने पर गिर रहे थे,मुझे तो बस इतना मालूम है की मेरे अपनों में हर कोई था,हर कोई चीख रहा था....मुझे मेरी बातों से पहचान रहा था ....मेरे voi का ख्याल रखना दोस्तों,...सच यहीं है की मैं अब आपके अंतर्मन में हूँ ,जहाँ मैं हर वक्त रहना चाहूँगा ,पर मुझे याद है वो रात जो मेरे साथ खत्म हो गई,और सुबह की चमकदार रोशनिया भी मेरे से जुड़े हर व्यक्ति की ज़िन्दगी को रोशन नहीं कर पाई ,मैं देख रह था,वो लोग सुबकते रहे... सच कहूँ तो मैने कोशिश की मैं उठ जाऊं ,पर मैं असहाय बन चुका था , मै क्या करता?....एक एक कर मेरी क्षमतायें ख़त्म हो रही थी,मोहित तुम ही थे न ..जो मेरे घर से बच्चो को लेकर मेरे पास लाये थे ...शुक्रिया मेरे दोस्त,......अबयज़ मुझे माफ़ करना मैं अंत में तुमसे बात नहीं कर पाया,निशांत तुम वाकई एक अच्छे इंसान हो ,किशोर जी से कहना मैंने आपको देखा ..आपकी रुलाइयां ,voi और मेरे से जुड़े हुए लोगो की वो रुलाइया जो बार baar फूट रही है ,उन्हें शान्त कीजिये ,हमें अभी काफी आगे जाना है ,अपने इस महल को शीश महल बनाना है .....यह सच है की मैं तो बेबस हूँ ,लेकिन यह भी सच है की जो जिंदा है वो भी कमाल करते है ...क्यों आप तो जानते है न !!!!!
मेरी डेस्क पर मोजूद रात में मौजूद उस छोटे से परिवार से कहना .....इस बार अपना अपना बुलेटिन अधूरा रह गया दोस्तों,कोई गलती हुई हो तो मुझे माफ़ कर देना,मेरे न होने पर मेरे आशियाँ और मेरे परिवार से जुड़े रहना, कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त,सबको अपनी ही किसी बात पर रोना आया,मैंने भी रोते हुए हर किसी को देखा,मेरी खबरों में वो लोग रोये ......सच यही है ज़िन्दगी से हर कदम पर लड़ता हुआ मैं कभी घबराया नहीं ,शै शै कर ढलती पत्रकारिता के किसी नक्श में मैं भी ढलता हुआ पाता रहा ,मैं देख रहा था ,सब रो रहे थे ,मेरे अपने ,सबके अपने ...हर कोई रोया ,
मेरे मातम का कोई नाम नहीं,लेकिन सच यहीं है की अपने आशियाँ से ही.... मैं जा रहा हूँ ,आप देखते रहना ,उसका ख्याल रखना ,जागते रहना ,तुम्हारी ये रुलाइयां मुझसे देखी नहीं जायेंगी ,मैं नहीं जानता की मेरे बाद क्या समां होगा ..मैं जा रहा हूँ अपनी साँसे अपने साथ लेकर ....आपके साथ बिताये हर उस पल के साथ ...लेकिन मुझे याद रखना अपने ज़हन में .... अंत में मैं इस सपने से बाहर निकल आया ,लेकिन जब जागकर देखा तो वास्तव में जीने वाले कमाल करते है ...सर आज भी मैं वही बैठा हुआ हूँ जहाँ आपने मुझे आकर कहा था ...आशीष बेटा यह HEADLINES काट दो ..पर सर आप ही न आये ....आपको कोटि कोटि नमन ......


मुझे मालूम था, तुम मर नही सकते
तुम्हारी मौत की सच्ची खबर जिसने उड़ाई थी,
वो झूठा था,वो तुम कब थे?कोई सूखा हुआ पत्ता, हवा मे गिर के टूटा था ।
मेरी आँखे तुम्हारी मंज़रो मे कैद है अब तक मैं जो भी देखता हूँ, सोचता हूँ वो, वही है जो तुम्हारी नेक-नामी और बद-नामी की दुनिया थी ।
कहीं कुछ भी नहीं बदला,तुम्हारे हाथ मेरी उंगलियों में सांस लेते हैं,
मैं लिखने के लिये जब भी कागज कलम उठाता हूं,तुम्हे बैठा हुआ मैं अपनी कुर्सी में पाता हूं ......



miss u ashok sir


ASHISH JAIN
अपनी प्रतिक्रियाए जरुर दें















वी ओ आई के इस मातम का कोई नाम नहीं

वी ओ आई के इस मातम का कोई नाम नहीं
मैं नहीं जानता की उस वक्त क्या हुआ था ,वो क्यों हुआ था ,मैं तो बस इतना जानता हूँ की एक पत्नी ने अपने पति को खोया है, एक बच्चे ने अपने पापा को खोया है ,मैं नहीं जानता की ऐसा क्यों हुआ है मैं तो बस इतना जानता हूँ की खबरों की आपाधापी में अपना भी कोई खबर बन गया,एक सितारा जो अब कभी नहीं चमकेगा ,मैं तो बस इतना जान
ता हूँ की ११ साल के बेटे के हाथ में भी वो जादू नहीं जो वो अपने पापा को जगा दें..... मेरे पूछने पर वो कुछ सोचने लग जाते ,फिर उदास भरी मुश्कराहट ,मानो वो कहते दिख जाते ...हाँ मैं उदास
हूँ ,मेरा शांत होने में दरसल कई लोगो का भला है इसलिए मैं अब शांत रहता हूँ ताकि किसी को दर्द न हो.कहीं हम लोग गुनहगार तो नहीं ...जो हुआ ,वो शायद किसी गुनहगार के साथ ही होता है .... ,आज वो हमारे बीच नहीं है ,कुछ मिनटों पहले जो व्यक्ति हम से मुस्करा कर बातें कर रहा था,वो कुछ ही देर में मिटटी में तब्दील हो जाएगा ,उनकी मौत पर हम सब सदमे में है, कई जिंदगिया बिलखती रही ,हम सब शांत खड़े रहे ,स
च यहीं है वो ऐसे व्यक्ति थे जिनकी कमी हम हर कदम पर महसूस करेंगे....एक कड़वा सच भी तो यहीं है ...
मरनेवाले तो बेबस हैं लेकिन जीनेवाले कमाल करते हैं.मैं नहीं जानता था की उस औरत को हम क्या जवाब देंगे जो अपने पति का सुबह दरवाज़ा खोलने के लिए इंतज़ार कर रही थी ,जिसके दरवाज़े में उसका पति तो आया पर वो अब बोलता नहीं,बेटे की जिद पर भी वो पिता अब मुस्कराएगा नहीं ,और अगर जिद छोड़ भी दी तो तो मानो अशोक जी कह रहे हो .. बेटा मुझे माफ़ कर देना ,मैं चाह कर भी जाग न पाऊंगा....बेशक तू मेरे गालो को खीचकर मुझे चीटर भी कह देना ,इसलिए एक नज़र उस रात पर जो कई दर्द सबको देकर चली गई ......
रात के 12 बजे मेरी शिफ्ट शुरू होती है,मैं रात को उनके साथ काम करने वाली टीम में था ,नाईट शिफ्ट लगभग किसी वनवास जेसी ही होती है,जहाँ खामोशी और आप अक्सर बातें करतें है,ख़बरों के लिए बेशक हम झूझते न हो ....पर अलसाई सुबह की खबरें अक्सर रात में जागकर ही तैयार होती है, ख़बरों से लड़ने का सिलसिला चलता रहता है,कल की रात भी लगभग हर रात जेसी ही थी ,हाँ हर बार की तरह वही ख़बरों के लिए बदहवासी में यहाँ से वहा .....और एक चुभन ....नाईट शिफ्ट होने से १/2 घंटे पहले मैं ऑफिस पंहुचा ,शाम या यूँ कहें की prime time की थकान उतारते लोग, अशोक उपाध्यय हमारे night shift के इंचार्ज थे
,स्वभाव से बेहद शांत और मेहनती इंसान ...जिनसे आप कुछ सीख सकते हो,लम्बा कद ,शानदार वोइस ओवर ,और जबरदस्त स्क्रिप्ट में महारथी ..... ,voi के साथ अशोक जी उस वक्त से जुड़े हुए थे ,जब वो शुरूआती दौर में था,जब त्रिवेणी मीडिया लिमिटेड का voi बंद हुआ ,तो अपने इस किले से लिपट कर सुबकने वालो में वो भी थे पर वो शांत खड़े रहे ,night shift में उनके साथ रहा ,उनकी बातों को महसूस किया ,ख़बरों से लड़ते हुए जब कोई चैनल आपस में लड़ता हुआ,किसी जूम जाम वाले कार्यक्रम पर चले जाते,तो मुश्कराकर कर रह जाते ,,रात को कितने पैकेज है जो एडिट होने है ,एडिटिंग टेबल और उसकी कला का क्या मतलब होता है , बखूबी वो जानते थे ,शायद जब bite के लिए हम किसी को बुलाते और कोई न आता तो वो अपना बीच में काम छोड़ कर आ जाते थे ,और यह सच है उनमे हमेशा एक सयम देखा ,वो चीज़ देखी ,जो निश्चित रूप से भटकी हुई नहीं है ,हमेशा शांत रहनेवाले और सबको प्यार करनेवाले हमारे अशोक सर अब हमेशा के लिए शांत हो गए हैं... यकीन नहीं होता... उनको याद कर कर के आंखें नम हो रही हैं... बार-बार उनका चेहरा आंखों के सामने आ रहा है... उनकी मीठी आवाज सुनाई दे रही है ... अगर हमसे कोई गलती हो भी जाए तो कभी भी उन्होंने हमें जोर से नहीं बोला... हमेशा समझाते बच्चे ऐसा नहीं ऐसा करो... हम उनसे अपने करियर से लेकर अपने परिवार तक की बातें शेयर करते थे... उनके चेहरे पर हमेशा एक मुस्कुराहट रहती थी जो दूसरों को भी मुस्कराने के लिए मजबूर करती थी...अपना सार काम ख़त्म होने के बाद वो तुरंत सीट पर बैठ जाते और अपना बनाया हुआ बुलेटिन देखते ,शायद कुछ रह गया हो ,मुझसे कहते रहे की ...बेटा वाजपेयी जी का जन्मदिन है ,उस पर एक vo ले लेना ,मैं अभी आता हूँ ना जाने कहा चले गए.....फोन किया तो पता चला की फोन नहीं उठा रहे थे ,तबियत खराब थी शायद दवाई लेने गए हो ,आवाज़ आई ...यह आवाज़ एक लड़की की थी ,जो डेस्क पर थी ....जबकि कुर्सी पर उनकी जेकेट रखी हुई थी ......वक्त बीतता रहा ,वक्त अब घर जाने का था ...हम निकलने लगे ....अशोक सर की कार से गुज़र रहे थे तो यह क्या ....सर कार में बेहोशी की हालत में लेते हुए थे ,मैं उनके सीने को देखा और मेरे साथी विपिन ने उनकी नब्ज़ देखी ....एक गहरी ख़ामोशी ....और कुछ नहीं ......हमने तुरंत ऑफिस में जाकर कहा...तुरंत उनको मेट्रो में ले जाया गया ...जहाँ डॉक्टरो ने उन्हें मृत घोषित कर दिया ......घर से मोहित सर उनकी पत्नी और उनके बेटे को लेने गए ,जहाँ से उनको संभालना था ,जेसे ही ऑफिस की गाडी अस्पताल पहुची ...लोगो की आँखों में आंसू फुट पड़ें ...वो वो व्यक्ति रोते हुए दिखा जो अपने आप को बेहद सख्त दिखाने की कोशिश करता है ,,,,हर तरफ मातम और कुछ नहीं ....लेकिन मुझसे सिर्फ इतना मालूम है की इस मातम का कोई नाम नहीं ..... मुझे तो बस इतना मालुम है की बड़े ही मेहनत से ऑफिस में रात को एक परिवार सजाया था ,ना जाने क्या हुआ ,किसी ने पूरा परिवार उजाड़ दिया, दीवार रह गई , अभी तक़रीबन ४बज़ है कुछ देर बाद मुझे फिर से ऑफिस जाना है ,अपने उसी परिवार को फिर सजाना है ,मैं नहीं जानता की सब केसे हो पायेगा,मेरी आँखें उन्हें जरुर देखेंगी ,उनके बिना न जाने केसे फिर वो शुरुआत होगी ,सवाल यही था उस परिवार का क्या होगा जो अचानक हाशिये पर आ गया ,उस बचपन का क्या होगा जो खोने के डर में बैठा है ,और बिलख रहा है उस पत्नी का क्या होगा जिसे अब भी लगता है की उनके पति लौट आयेंगे ........ लेकिन यह सच है की खबरों का सिलसिला इसी कदर चलता चला चला जायेगा ,तूफानों से लड़कर जिसे अपना आशिया सोचा मेरा अपना भी खो गया उसी आशिया में .आपको कोटि कोटि नमन ....
मिल के बिछड़ जाती है ,घडी की सुइयां तो केसे कोई साथ रहने की दुआ करे.......
aashish and sarika


,

वक्त बिकाऊं है खरीदार चाहिए........सुधि सिद्धार्थ के साथ विशेष

कहते है वक़्त की हर शय गुलाम होती हैं..मगर अब ये आपका गुलाम हो सकता है ,जरूरत है तो बस वक़्त की मंडी मे आने की, हर तरह का वक़्त मिलता है यहां सौ रुपए घंटा, हज़ार रूपए घंटा, और तो और एक एक मिनट भी..मगर कुछ लोग ऐसे भी है जो सूनी निगाहों से खरीदारों को इस उम्मीद से देखते है की शायद आज का पूरा दिन 80 रूपए में ही बिक जाये..बस बोली लगाईये और वक़्त के खरीदार बन जाईये.....पहले वक़्त गुजरता था मगर आज वक़्त बिकता है.. कभी घंटो गुजर जाते थे उधड़े रिश्तो को बुनने मे,रूठी उम्मीदों को मानाने मे, छोटी बहन को सताने मे और शाम को माँ के साथ खाना बनाने मे और याद है वो दिन, शहर के नुक्कड़ पर बने पुराने कॉफी हॉउस मे दोस्तों के साथ लड़ना झगड़ना और आंखों मे छोटे छोटे सपने जाना....सपनो को सजाने की चाहत में मैं भी कब इस मंडी की सजावट बन गई पता ही नहीं चला..आज यही एक कोने में खड़ी अपना वक़्त बेच रहीं हूं 9 घंटे बिक चुके हैं और 10 घंटो की अभी भी गुंजाईश है....कोई है खरीदार क्यूंकि ये वक़्त बिकाऊं है...
  • EXCLUSIVE .....:

    salaazmzindagii

    अशोक जी को कोटि कोटि नमन -- सलाम ज़िन्दगी टीम miss u ashok sir

    ASHISH JAIN


    सुधी सिद्धार्थ ..........

    ज़िन्दगी का हिस्सा बनें और कहें सलाम ज़िन्दगी

    सलाम ज़िन्दगी को जाने ..

    मेरी फ़ोटो
    वर्तमान में एक न्यूज़ चैनल में कार्य कर रहा हूँ,पत्रकारिता की शुरुआत जनसत्ता से की .जहा प्रभाष जोशी, ओम थानवी और वीरेंद्र यादव के साथ काम करने का मौका मिला ,उसके बाद पत्रकारिता की तमाम गन्दगी को अपनी आँखों से देखते हुए आज तक में ट्रेनिंग करने का अवसर मिला वहा नकवी जी,राणा यसवंत ,अखिल भल्ला ,मोहित जी के साथ काम किया तक़रीबन ६ महीने वहा काम करने के बाद आँखों देखी से होते हुए एक बड़े न्यूज़ चैनल में एक छोटा सा कार्य कर रहा हूँ या दूसरे शब्दौं में कहूँ तो मन की कोमलताओं को हर रोज़ तिल तिल कर मार रहा हूँ ,लिखने का शौक है ,कुछ अखबारों में सम्पादकीय भी लिखे है ,लेकिन हकीकत यही है की आँखौं से बहते हुए आसूँ इतनी तकलीफ नहीं देते जितनी पलकों पर रुके हुए मोती करते है ,शायद इसीलिए मैं आज जहा हूँ ,वहा से सिर्फ अँधेरा दिखता है ......ASHIISH JAIN