न्यूज़ रूम का कन्यादान --राहुल की शादी जिंदाबाद ...जय हो !!!!!
                                          
राहुल की शादी है और जश्न है हिदुस्तान का ... दूसरी तरफ इस चकाचौंध से बहुत दूर एक गावं है जहाँ कुछ देर पहले एक साधू  आया था ,पता नहीं क्या हुआ ,वहा अब सन्नाटा पसरा हुआ ,पीछे से एक मां की कराहने की आवाज़  आ रही है जिसकी रुलाइयां है जो रोके रुक नहीं रही ,वो सन्नाटे से आगे निकल कर उस आस्था पर सवाल उठा रही है जिसे वक्त वक्त पर कोई


न कोई साधू उसकी असफलता के साथ जोड़कर उसके पल्लू से बाँध देता है और फिर राम के नाम में विश्वास जताता है, वो एक रुमाल एक लौटा और बीस रूपये बाटता है तभी एक चीख पुकार आती है ,
कई लोग बदहवासी में इधर उधर भागने लगे ,भीड़ अपनों और परायों में भेद नहीं कर पाई और फिर हर तरफ मातम ,लोग बिखरे हुए थे ,देश की संसद के साधुं अपनी सियासत को खीच कर  उस मां के खंधे पर हाथ रख रहे है,लेकिन वो आका भी  सफलता और असफलता के बीच फस रहे है ,बड़ी बड़ी गाडिया इससे पहले उस जगह कभी नहीं आई ,उस मां ने इतने करीब से इन लोगो को कभी नहीं देखा,एक सवाददाता तभी तल्खी से माइक निकालकर यह बात कहता है,हमने कई सालो से आपको कई खबरें दिखाई है लेकिन आज मैं इन लाशों के बीच
मौजूद है तभी वो सवाददाता अचानक अपनी ptc  ख़त्म कर देता है और वो कहता है आज मेरे पास शब्द नहीं है ,उसकी आँखों में आंसू है ,जो दर्शक जानता है ,वो  फूट फूट कर रोता है,  
आस्था ने एक बार फिर कुछ छीन लिया,कईयों का परिवार वीरान हो गया,बस यादें रह गई ,जिन्हें समेटना बहुत  मुश्किल है,लेकिन उस बाबा का क्या ? उस मां को अब वो बीस  रूपये भी याद नहीं ...जो  बाबा ने उसको दिए  थे उसे तो अपने बेटे की वो हथेलियाँ याद है जो उस बाबा ने छीन ली ... जो वक्त वक्त पर कई चैनलों पर भी  दिखता है,वो बताता है आस्था एक  बहुत बड़ी  चीज़ है,वो राम का नाम लेता ,और सलाह देता है कर्म करते जाओ... वो भंडारे में पैसे बाटता है दूसरी  तरफ  टीवी  न्यूज़ चैनलों में चहल कदमी है ,लोग माथे पर हाथ  रखकर बैठे हुए ,आखिर ये हो क्या हो रहा है,बड़े बड़े न्यूज़ संस्थानों में माथे की नसें फटने वाली बहसे हुई ,ख़बरों पर या शादी पर,हम किस पर बने रहेंगे,यह एक टीसने वाला सवाल था ,ख़बरों  और तमाशे में कोई  तो अंतर होना चाहिए, तभी रन डाउन  से आवाज़ आई ,सर क्या करूँ, क्रपालुं महाराज वाली खबर गिरा दूँ ,लगता है चलेगी नहीं ,यह वही खबर थी जिस पर राहुल गाँधी ,राजनाथ को ज़मीं से जुड़े होने की याद आ गई थी,और इतिहास गवां है इससे पहले इतनी गाड़ियां  उन गरीब लोगो के बीच  कभी नहीं देखी  गई ,और उतर प्रदेश  का मतलब तो आप जानते है ...मायावती कह रही है हमारे पास उन लोगों को देने के लिए पैसा नहीं है !तीसरी तरफ  एक सर सरी आवाज़ ,कपाने वाला संगीत ....... राहुल महाज़न पत्नी वियोग और चाचा के जाने से आहात से  बहुत  दूर होकर  नुमाइशों  में बिजी है , जहाँ कुछ लडकिया और एक लड़का और बहुत सारे कैमरे है,  जो  चकाचौंध रौशनी के सामने अपनी ज़िन्दगी में किसी को दाखिल करने के लिए आई है ,,राहुल महाज़न दूल्हें के रूप में दुबारा एक शानदार किरदार निभा रहे है  कुछ देर बार वो वरमाल पहनाएंगे ,तभी देश की सभी खबरें अचानक गिरने लगी ,सभी चैनल शादी की खबर पर  आ गये,बड़े बड़े ग्राफिक्स  के साथ राहुल महाजन का स्वयंबर जारी था ,  
पत्रकारिता के दिग्गज यह बात जानते थे की खबर बिकेगी ,और सही भी था ,विदेश नीतिया ,बाबा,महिला आरक्षण,पाक वार्ता पर राहुल महजान हावी हो गए ......भारतीय समाचार  नीति की ऐसी दूरदर्शी आलोचना की तरह देखा  जा रहा है जिस पर पहले किसी की नजर न पड़ी तो इसके पीछे लोगों का अज्ञान ज्यादा है,...      .इस तरह की ख़बरों  की उत्कृष्टता कम. अन्यथा हाल के वर्षों में भारत में और दुनिया भर में  टी वी को लेकर जो बुनियादी बहसें चल रही हैं,न्यूज़ चैनल राहुल महाजन की खबर को इस तरीके से दिखा रहे थे मानो कन्यादान उन्ही को करना हो ,....असल में यह चमकता-दमकता समाचार व्यवसाय  ही है जो कभी बाबा की खबरों के जरिये उस मातम में मौजूद उस मां के  कराहने को  दिखाता और सुनाता है जो आज भी सुबक रही है तो कभी जाला लगी डिबेट न्यूज़ पर संदेह करता है और ‘राहुल महाजन की शादी ’ दिखाकर भारत और उसमे न्यूज़ होने का मतलब समझाने की कोशिश करता है. शायद trp system  उसे इस बात की इजाज़त और इज्ज़त दोनों देता है जिसके सहारे वो न० 1  बन जाता है,वो  अच्छी खबरों को दिखाकर  मुश्किल रास्ता नहीं चुनता,जरूरी बहसों में शामिल होने की फुरसत नहीं निकलता वो सरलता के साथ खड़ा होकर  राहुल महाजन के साथ दिखता है .वो जानता है की वो गलत है तभी  वो अपनी गिरेंबां में झाकने के लिए वो खबरें चलाता है जो उसकी बौद्धिक खुराक पूरी करती हैं...इस लोकप्रियता को समाचार माध्यम भुनाना चाहें, यह समझ में आता है क्योंकि उनका यह तमाशा बिक्री और कारोबार से जुड़ा है. लेकिन यह लोकप्रियता जिस तरह हमारे समूचे सामाजिक ,साहित्यिक-सांस्कृतिक माहोल  पर छा रही  है, इससे कुछ डर सा लगता है. लगता है, जैसे हम एक ग्लैमर माहौल में रह रहे हैं जहां एक बाजारू बौद्धिकता चीजों का मूल्य तय कर रही है. अगर वह बाजारू न होती तो लोकप्रियतावाद से इस कदर अभिभूत न होती. इस बात को कुछ आगे बढ़ाने से बात ज्यादा खुलेगी ..  अफ़सोस है की बौद्धिक व्यवस्था पर उस व्यवस्था का कब्ज़ा है जिसे कोई और तय करता  है ,जिसके मानक एक सिरे से खारिज होने जरुरी है ,वरना ऐसी शादिया होती रहेंगी,जिसमे हर कोई कलाकार है ,और न्यूज़ का तमगा सिर्फ यहीं तक सीमित रह जायेगा ...असल में यह एक हताश कर रख देने वाला जवाब है की बाज़ार हमारी खबरों को तय कर रहा है  कहीं न कहीं सवाल एकाधिकार का है जो बाज़ार से जुड़ा हुआ है ,जो वक्त वक्त पर बार फूट फूट  रहा है ,
 मैं तो बस इतना कहूँगा राहुल महाजन तुम धन्य हो .....
तमाशे के इस सामान पर आगे आये --अपनी प्रतिक्रिया जरुर दें 

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आशीष जैन
सलाम ज़िन्दगी






salaamzindagii.blogspot.com
16 Responses
  1. varun Says:

    wahhh....news chnlo ko sharm aani chaahiye--varun


  2. priti dev Says:

    rahul to noutankibaaz hai ,lekin is noutanki ko in ghatiya news cheenlo ne aur bhi jyada sharmnaak bana diya ..


  3. EDDY Says:

    GOOD YAAR ..SAME ON U MEDIA


  4. Aap aur Hum Says:

    bhai sahe kaha.bahut khub....TRP k chakar mai ye channel bekar ki cheezo ko tavazu dete hai.......


  5. SWETA RAGHAV Says:

    आशीष भाई तुमने सही लिखा है ,बस मुर्दों के शहर में लिखा है ......लिखते रहो ,मन को ख़ुशी मिलती है


  6. बहुत ही बढ़िया. इस लिंक पर जाए. इस विषय पर मेरा विचार पढें.
    http://aapandesh.blogspot.com


  7. anjule shyam Says:

    इसी बाजार और मार्केट पे कुछ लाइने कभी लिखी थी....अफ़सोस अब इन लाइनों के आगे कुछ नहीं लिख सकता...क्यूँ की ये लाइने तब लिखीं थी जब मासूम था...अब हम थोड़े बड़े हो गए हैं और मार्केटिंग अपनी नस नस में समां गई है..............
    अभिमान बेचिए स्वाभि मन बेचिए ..
    बाजार है तो कुछ ना कुछ सामान बेचिए....
    चलिए चल कर सुरुवात कीजिये...
    पहले पहल अपने इमान बेचिए........


  8. meenu Says:

    sharm aati hai mujhe ki main aise dese me kaam karta hun ,jahan is tarike se media barbaad ho rahi hai ,sarm karo


  9. rajveer {etv} Says:

    bhaai humaare yahan aisaa nahi hai,hum aaj bhi khbar dikhaate hai


  10. deepak kapoor Says:

    boss dis is market,ok




  11. ranjana Says:

    .असल में यह चमकता-दमकता समाचार व्यवसाय ही है जो कभी बाबा की खबरों के जरिये उस मातम में मौजूद उस मां के कराहने को दिखाता और सुनाता है जो आज भी सुबक रही है तो कभी जाला लगी डिबेट न्यूज़ पर संदेह करता है ranjana-


  12. सौ ख़ुलूस बातों में सब करम ख़यालों में
    बस ज़रा वफ़ा कम है तेरे शहर वालों में....


  13. सियाहियों के बने हर्फ़ हर्फ़ धोते हैं...
    ये लोग रात में काग़ज़ कहाँ भिगोते हैं।

    किसी की शह में दहलीज़ पर दिया न रखो...
    किवाड़ सूखी हुई लकड़ियों के होते हैं।।



  • EXCLUSIVE .....:

    salaazmzindagii

    अशोक जी को कोटि कोटि नमन -- सलाम ज़िन्दगी टीम miss u ashok sir

    ASHISH JAIN


    सुधी सिद्धार्थ ..........

    ज़िन्दगी का हिस्सा बनें और कहें सलाम ज़िन्दगी

    जिदगी यहाँ भी .......

    सलाम ज़िन्दगी को जाने ..

    मेरी फ़ोटो
    वर्तमान में एक न्यूज़ चैनल में कार्य कर रहा हूँ,पत्रकारिता की शुरुआत जनसत्ता से की .जहा प्रभाष जोशी, ओम थानवी और वीरेंद्र यादव के साथ काम करने का मौका मिला ,उसके बाद पत्रकारिता की तमाम गन्दगी को अपनी आँखों से देखते हुए आज तक में ट्रेनिंग करने का अवसर मिला वहा नकवी जी,राणा यसवंत ,अखिल भल्ला ,मोहित जी के साथ काम किया तक़रीबन ६ महीने वहा काम करने के बाद आँखों देखी से होते हुए एक बड़े न्यूज़ चैनल में एक छोटा सा कार्य कर रहा हूँ या दूसरे शब्दौं में कहूँ तो मन की कोमलताओं को हर रोज़ तिल तिल कर मार रहा हूँ ,लिखने का शौक है ,कुछ अखबारों में सम्पादकीय भी लिखे है ,लेकिन हकीकत यही है की आँखौं से बहते हुए आसूँ इतनी तकलीफ नहीं देते जितनी पलकों पर रुके हुए मोती करते है ,शायद इसीलिए मैं आज जहा हूँ ,वहा से सिर्फ अँधेरा दिखता है ......ASHIISH JAIN