मीडिया में कास्टिंग काउच --सलाम ज़िंदगी पर



सलाम ज़िंदगी पर जल्द रहा है जरूर पढ़िएगा .......मीडिया में कास्टिंग काउच ..... http://salaamzindagii.blogspot.com/
धंधा है पर गन्दा है ये !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!....हमारे साथ
1 Response
  1. बेनामी Says:

    [url=http://www.23planet.com]Online casinos[/url], also known as accepted casinos or Internet casinos, are online versions of venerable ("crony and mortar") casinos. Online casinos approve gamblers to filch up and wager on casino games completely the Internet.
    Online casinos habitually tell odds and payback percentages that are comparable to land-based casinos. Some online casinos subdue higher payback percentages with a confidence play bust-up games, and some talk known payout pillar audits on their websites. Assuming that the online casino is using an correctly programmed indefinitely auditorium generator, catalogue games like blackjack enthral carry an established put down edge. The payout shred as a replacement representing these games are established to the quintessence the rules of the game.
    Uncountable online casinos squama not at cuttingly or evolve into manifest their software from companies like Microgaming, Realtime Gaming, Playtech, Worldwide Imposture Technology and CryptoLogic Inc.


  • EXCLUSIVE .....:

    salaazmzindagii

    अशोक जी को कोटि कोटि नमन -- सलाम ज़िन्दगी टीम miss u ashok sir

    ASHISH JAIN


    सुधी सिद्धार्थ ..........

    ज़िन्दगी का हिस्सा बनें और कहें सलाम ज़िन्दगी

    जिदगी यहाँ भी .......

    सलाम ज़िन्दगी को जाने ..

    मेरी फ़ोटो
    वर्तमान में एक न्यूज़ चैनल में कार्य कर रहा हूँ,पत्रकारिता की शुरुआत जनसत्ता से की .जहा प्रभाष जोशी, ओम थानवी और वीरेंद्र यादव के साथ काम करने का मौका मिला ,उसके बाद पत्रकारिता की तमाम गन्दगी को अपनी आँखों से देखते हुए आज तक में ट्रेनिंग करने का अवसर मिला वहा नकवी जी,राणा यसवंत ,अखिल भल्ला ,मोहित जी के साथ काम किया तक़रीबन ६ महीने वहा काम करने के बाद आँखों देखी से होते हुए एक बड़े न्यूज़ चैनल में एक छोटा सा कार्य कर रहा हूँ या दूसरे शब्दौं में कहूँ तो मन की कोमलताओं को हर रोज़ तिल तिल कर मार रहा हूँ ,लिखने का शौक है ,कुछ अखबारों में सम्पादकीय भी लिखे है ,लेकिन हकीकत यही है की आँखौं से बहते हुए आसूँ इतनी तकलीफ नहीं देते जितनी पलकों पर रुके हुए मोती करते है ,शायद इसीलिए मैं आज जहा हूँ ,वहा से सिर्फ अँधेरा दिखता है ......ASHIISH JAIN