ये हैं काम्या जो जिन्दगी की हर कठिन राह को पार करके एक मुकाम पर पहुंची है अपने पैरों के नीचे की ज़मीन को खुद बनाने वाली काम्या आज सलाम ज़िन्दगी के माध्यम से अपने कुछ अनुभव हम सबके साथ बांट रहीं हैं आप पढ़े और प्रोत्साहित करें.....
"ले देकर अपने पास फक़त एक नज़र तो है, क्यों देखे ज़िन्दगी को किसी की नज़र से"।.... मुझे पत्रकारिता में आए ज्यादा समय नहीं हुआ, लेकिन कभी-कभी न्यूज़रूम के शोर और प्राइम टाइम की हलचल के बीच जब किसी को किसी का दर्द बांटते देखती हूं तो बहुत खुशी होती है। ..अजीब से रिश्ते है यहां कुछ समझ में आते है तो कुछ समझ से परे, पर आज मैं अकेली नहीं हूं....याद है मुझे वो दिन.. 29 मई 2004 दिल में सपने और जेब में चंद काग़ज के टुकड़े लिए अपनों को छोड़ अंजानों के बीच आ गई थी, दिल में हौसला तो था मगर किसी का साथ नहीं, एक अदद नौकरी की चाहत कि किसी तरह गुजारा तो हो सके। एक जानकार के सहयोग से नौकरी भी मिली मगर तनख्वाह नहीं मिलती थी, क्योकि घर में रहने के लिए जगह जो दी थी उन्होनें। घर बनाने की चाहत में घर की नौकरानी बन गई, गम में
आंखों के आंसू भी साथ छोड़ चुके थे, पर हिम्मत नहीं हारी 4 महीने बाद एक लोकल चैनल में काम करने लगी, कुछ समय बाद किस्मत ने वहां से भी साथ छोड़ दिया अपने ख्वाबों को जमीन देने के लिए अलग-अलग लोगों के साथ काम किया। ऐसा समय भी आया जब पेट की आग सब कुछ जलाकर खाक कर देती थी, सोचती थी कैसी आग है ये जो पानी पीने से भी नहीं बुझती और तो और एक अकेली लड़की होना मानो लोगों को मनमर्जी करने का लाईसेंस दे देता था। सड़क पर चलते हुए या काम करते समय लोगों की नज़रे कुछ भी कहने का मौका नहीं छोड़ती थी, झुंकी हुई नज़रे
खुद से ही सवाल करती "यही सजा है हिन्दुस्तान में एक लड़की होने की."। इतना सब होने
पर भी मैं आगे बढ़ती रही, एक अकेली राह पर जहां दूर-दूर तक कोई नहीं था, बस दिल में उम्मीद थी मंज़िल पाने की। जिन्दगी की राह पर मैने हर तरह के लोग देखे ऐसे दिन गुजारे जब हर पर तिल-तिल मरती थी मैं, मगर कोई भी मुश्किल मुझे तोड़ न सकी। खुद का हाथ थामे लोगों से खुद को बचाते हुए आज अपने दम पर
एक प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल में काम कर रहीं हूं। कुछ सपने सच होकर बड़े हो गए है, तो कुछ अभी भी पलकों में अपना बचपन जी रहे हैं। सफर अभी भी जारी है, कुछ कर गुज़रने की
चाहत आज भी बरकरार हैं पर आज मैं अकेली नहीं हूं चारों तरफ लोग ही लोग हैं, बस किसी का चेहरा साफ नहीं है, मुखौटों का संसार है यहां, आपको भी अपने आस-पास के इन चेहरों को समझने का नज़रियां बनाना होगा, ताकि आपके सपने भी बड़े हो सके कोई उनका बचपन न छीन सके...आप भी समझिए और कहिए सलाम ज़िन्दगी।..
"हर चेहरे में छुपे है दस बीस चेहरे, जब भी किसी को देखो बार-बार देखों"।
सलाम ज़िन्दगी के लिए काम्या भट्टाचार्या..।
अपनी राय ज़रूर दें...
बिल्कुल सही कहा काम्या आपने...हमारे आस-पास बहुत सारे ऐसे लोग होते हैं जो अपने होने का दावा तो करते हैं मगर वहीं दूसरी तरफ आपको आगे बढ़ता भी नहीं देख सकते..वाकई हमे इन सब बातों से ऊपर उठना चाहिए क्योंकि ये जिन्दगी का एक हिस्सा है पूरी जिन्दगी नहीं और जिस तरह अकेले अपनी ज़िन्दगी को जीने की हिम्मत आपने दिखाई हैं उसे शब्दों में ब्यां नहीं किया जा सकता आपने सच में अपनी ज़िन्दगी से कहा है....सलाम ज़िन्दगी.।
aapaki aapbiti padh kar mai keval itana kahna chahunga ki kaphi himmt hai aapme......
khud fanoos bankar jiski ifajat hawa kare, woh shamma kya bhujhey jisey roshan khuda kare.
Lets hope 4 d best.
kmaya tujhe salaam
kaafi saandaar hai
इस ब्लॉग का एक एक आलेख के लिए सलाम कुबूल कीजिए
kamya u r a fighter... :) go ahead n conquer d world
Dear kamya,
apke ander bhut himmat hai bhut mushkil hota apne dam par kuch kar pana par kahtey hai na jo sabr rakhta hai vahi jitta hai.
Sunita sharma
V.Nice.शुक्रिया. जारी रहें.
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१५ अगस्त के महा पर्व पर लिखिए एक चिट्ठी देश के नाम [उल्टा तीर]
please visit: ultateer.blogspot.com
brave girl... all t best...
proud of u dear
thtz u originality
keep it up kamya
nice aritcle
sahi kaha kamya aapne. har insaan k kai chehre hote hain. aapki aap biti sun kar muje pna time yaad aa gaya. lekin kehte hain na k himmat karo to har manzil milti hai. isliye aaj main ek national news paper me senior reporter hu.
kafi himmat hai aapme....salaam jindagi
काम्या आज आप अपने दम पर एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल में काम कर रही हैं, इस आत्मविश्वास के लिए बधाई
बधाई आपने एक मुकाम हासिल किया
लेकिन संघर्ष दर्द नहीं खुशी की बात है।
आप लगातार आगे बढ़ती रहें
aap kafi khuskismat hain ki bina kisi galat hatho me pade aapne mukaam hasil kiya warna yahan talent ki jagah kuch aur criteriya hoti hai job dene ki...
kamya abhi too pata nahi zindgi kaya kaya dikaygi, yeh media line duar sey rangeen laghi, ander too sub khokhla hoo chuka hai , bus kuch he log hai jo sahi hai or kuch he log hai jo apna farz nibha rahey hai, aam logo mey media line walo ke abhi be kaffi izzat hai , prantu iss line mey kamm kerney walo ka apney he mansik balatkar kertey hai , bus sub apney peat ke agg or apney pariwar ka khayal ker sub jheltey rehtey hai .
kamya abhi too pata nahi zindgi kaya kaya dikaygi, yeh media line duar sey rangeen laghi, ander too sub khokhla hoo chuka hai , bus kuch he log hai jo sahi hai or kuch he log hai jo apna farz nibha rahey hai, aam logo mey media line walo ke abhi be kaffi izzat hai , prantu iss line mey kamm kerney walo ka apney he mansik balatkar kertey hai , bus sub apney peat ke agg or apney pariwar ka khayal ker sub jheltey rehtey hai .
काम्या खुद की मेहनत से सफलता की जो जमीन तेयार होती उस पर जीने का मजा ही कुछ और होता है. यकीं है इसका आपको अछी तरह अहसास भी है. चैनल की दुनीया मे आपका काम एक मीसाल है. दुसरो का दर्द बाटने मे खुद की नींदों का कुर्बान होना भी आम बात है. गुड लक.
Kon khta hai aasma me ched nahi ho sakta.Ak pather to tabiyat se uca halo yaro.ak akeli kamya hi himmat ko badhai.
Kamya Ji, fight yahi Khatam Nahi Hoti. Cut or Action Abhi or Bhi Hai. So Lage Raho. Haar Nahi Manna.