तिरंगे में कितने रंग होते हैं....????.....जी तीन
और चक्र नहीं होता क्या...???...होता है..
कौनसे रंग का...???....
नीला तो फिर चार रंग हो गए न इतना नहीं पता तुम्हें...????
......आप सोच रहे होंगे की मैं तिरंगे को लेकर ये क्या लिख रहीं हूं..............
इन सवालों की धार कर रहीं थी किसी के सपनों को तार-तार......यहां पर एक ब्रेक लेते है, पहले में आपकों बताती हूं कि आखिर मामला यहां तक पहुंचा कैसे.....रविवार की खूबसूरत सुबह.. मोबाईल पर एक कॉल... ये कोई ऐसी वैसी कॉल नहीं इंटरव्यू कॉल थी। खुशी का ठिकाना नहीं रहा, भई इसी दिन का तो इंतजार था, फिर क्या शुरू हो गई
तैयारी..पूरे दिन टीवी पर न्यूज़ चैनल देखा और अख़बार तो ऐसे पढ़ा जैसे सारी जिन्दगी की मेहनत आज ही हो जाएगी और तो और कंगाली के दौर में नेट पर 10 रूपये भी कुर्बान कर दिए, मिनिस्ट्रीज से लेकर राजनीतिक हलचल तक सब दिमाग के फोल्डर में कैंद हो चुका था...बेचैनी इतनी की रात में कई बार उठकर घड़ी देखी, सुबह समय से पहले ही ऑफिस पहुंच गई....हाथों में झोला और आंखों में चश्मा और दिल में गजब का आत्मविश्वास इतने बड़े चैनल में
इंटरव्यू जो था...करीब तीस चालीस लोग थे, एक-एक करके सबका नाम पुकारा जाने लगा दिल की धड़कने बढ़ गईं, मौका मिलने पर बैग में पड़े कुछ कागजों को उलट-पलट रहीं थी। मेरा नंबर भी आ गया दिल में ठान लिया था, जितना भी आता है इंटरव्यू की टेबल
पर उड़ेल दूंगी, सामने बड़े-बड़े लोग, इस एक पल खुद को सबसे खुशनसीब मान रहीं थी। करीब बीस मिनट अपनी प्रतिभा का प्रमाण देने के
बाद जब बाहर निकली तो सबसे पहले अपनी घनिष्ठ मित्र को फोन किया...आज तो किला फ़तह कर लिया हमने.. शाम को पार्टी होगी सारे सही जवाब दिए है, देखना अब सब सही हो जाएगा...थोड़ी देर में सबको जाने के लिए कह दिया बस मैं रह गई, विश्वास और बढ़ गया कि बस मंजिल दूर नहीं है, ऐसे में तीन घंटे बैठे-बैठे कैसे बीत गए पता भी नहीं चला,फिर एक सज्जन ने बताया आपका एचआर रॉउंड बचा है जाईये मैडम बुला रहीं है मन में कहा पैसा चाहे कुछ भी मिले लेकिन पोस्ट से कोई समझौता नहीं करूंगी...उधर लोग एचआर हेड के दिव्य ज्ञान की चर्चा कर रहें थें... मैं संभलकर आगे गई...चैम्बर में देखा मैडम कुर्सी पर
बैठी फोन पर बात कर रहीं थीं,हाथों में रिमोर्ट सामने एलसीडी पर कैटरीना कैफ चल रहीं थी मुझे देखा और बोली.. ओह हो तुम हो !!!....सबसे पहले तुम्हें निपटाती हूं.....एक के बाद एक सवाल, मैं तो समझ ही नहीं पा रहीं थी की हो क्या रहा हैं... अपने बारे में हिन्दी में लिखना जिन्दगी की सबसे बड़ी गलती बन गया...ख़्वाबों और ख्यालों की दुनिया लुट चुकी थीं, मेरा रिज्यूम तो ऐसे फेंका जैसे कह रहीं हो पता नहीं कहां-कहां से आ जाते हैं महज़ पंद्रह मिनट में केबिन के बाहर और अंदर की दुनिया समझ में आ गई ....अपने सपनों की अर्थी कांधे पर लिए बाहर आ गई और आज तक जवाब न मिला क्या था ये
साक्षात्कार या मानसिक बलात्कार............ सलाम जिन्दगी के लिए सुधी सिद्धार्थ
अपनी राय ज़रूर दें....
यह आज का सच है, जब किसी को इन्टरव्यु से बाहर करना होता है तो ऐसे ही सवाल कर उन्हें जबरदस्ती यह एह्सास कराया जाता है कि "आप को ये भी नही पता".और वह व्यक्ति आत्मग्लानि से भर स्वंय को कोसने लगता है कि अपनी गलती से एक मौका और गँवा दिया.
अच्छा लेख है.
चलिए, ये 'दिव्य' ज्ञान आपको कम उम्र में ही मिल गया....हिंदी चैनल में गईं थीं तो हिंदी में क्यों लिख दिया अपने बारे में....ख़ैर, सितारों के आगे जहां और भी हैं....
मुझे मेरी नज़्म का एक हिस्सा याद आ गया-
जब बांध सब्र का टूटेगा, तब रोएंगे...
अभी और बदलना है ख़ुद को,
दुनिया में बने रहने के लिए,
अभी जड़ तक खोदी जानी है,
पहचान न बचने पाए कहीं,
आईना सच न दिखाए कहीं!
जब बांध ....
अभी रोज़ चिता में जलना है,
सब उम्र हवाले करनी है,
चकमक बाज़ार के सेठों को,
नज़रों से टटोला जाना है,
सिक्कों में तोला जाना है...
इक दिन....
पूरी नज़्म के लिए यहां जाना होगा....
http://kavita.hindyugm.com/2009/07/blog-post_05.html
SUDHI TUM NE BILKUL SAHI LIKHA HAI... AGAR APKO KOI RESPOSIBILITY AUR AUTHORITY DI GAYI HAI TOH AAPKO USKA SAHI UPYOG KARNA CHAHIYE NA KI DUSRE INSAN KO NICHA DIKHANA CHAHIYE
बिलकुल सही कहा आपने क्यों कि जब आपको ...कोम पर नहीं रखना होता है तो आपसे बेतुके सवाल पूछे जाते हैं। जैसे मै एक बार डिश टीवी के कॉल सेंटर के इंटरव्यू में गया था वहा पर मुझसे पूछा कि आप ये बताइये आप क्या करते हैं मैने कहा कि पत्रकारिता की पढ़ाई करता हूं तो उन्होने मुझसे पूछा कि ये बताइये कि फिटकरी का रासायनिक सूत्र क्या होता हैं। मै एक बार तो चकरायमान हो गया कि ये कैसा सवाल... लेकिन फिर मैने फिर मुस्कुराया और मैने कहा कि आप यहां से फिटकिरी सप्लाई काम करते है क्या? नौकरी की ज़रुरत नहीं थी बस दोस्त के साथ मौज लेने गया था तो मैने ये जवाब बिना सोचे दे दिया, अच्छा लगा या बुरा ये पता नहीं पर जो लोग सपने लेकर जाते होंगे वो इन सवालों से जूझते नज़र आते होंगे, ये अलग बात है कि मुझे बाद में पता चल गया था कि वहां पर सभी वैकेन्सी भर चुकी थी वो तो बस टाइम पास कर रहे थे लेकिन इस तरह....
aajkal electronic media mein kuchh jyada hi aisa ho raha hai.Don't worry aage badhate rahein.-
Satyendra Pandey
मैं ये ब्लॉग दूसरी बार पढ़ रहा हूँ , पोस्टिंग्स पढ़कर निःशब्द हो जाता हूँ |जिंदगी को सलाम कहने का मतलब मुझे अब कुछ कुछ समझ में आ रहा है |सुधि सिद्धार्थ ,इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है जो आपके साथ हुआ |जब तक हम 'इतना बड़ा चैनल ,और इतना अधिक ग्लैमर 'वाली मानसिकता से हम नहीं निकलेंगे ,ये बातें हमें मानसिक प्रताड़ना या फिर मानसिक बलात्कार सी लगेंगी ही ,आज हिन्दुस्तानी मिडिया में 'मीडिया के घोडों ' का आधिपत्य है ,ये घोडे दौडेंगे ,और थक कर गिर कर मर जायेंगे उन्हें तो कलम की ताक़त का एहसास है और न ही शब्दों को अस्त्र के रूप में इस्तेमाल करने का शगल,और न आगे होने की सम्भावना है |अगर कुछ स्थायी है और रहेगी तो आपकी अपना सलाम जिंदगी |मुझे लगता है अब समय आ गया है कि हम सिर्फ पत्रकार न बने ,खुद को एक संस्था बनाये ,और घोडों कि पीठ पर निःसंकोच चाबुक मारें |
बहुत सही....एक फ्रस्ट्रेटेड एचआर पर्सन ने उन सभी डिपार्टमेंट हेड्स की करनी पर पानी फेर दिया जिन्होंने अपना कीमती वक्त निकाला। 40 कैंडिडेट्स में से कड़ी मशक्कत के बाद एक बंदे को अपने डिपार्टमेंट में काम करने के काबिल पाया। ये कहानी सिर्फ तुम्हारी नहीं है। ऐसे उजड्ड हेड को कई जगहों पर काफी लोगों ने झेला है, उनकी फ्रस्ट्रेशन के नीचे अपने सपनों को कुचले जाते हुए बर्दाश्त किया है।
लेकिन म्यूनिसिपेलिटी की जमादार टाइप एचआर हेड को किसी ने क्या हैंडल किया था। 'सोचने' पर अपना इंटरव्यू याद आ जाता है। सवाल यही था..। जवाब दिया... चार रंग। उन्होंने अपने खलनायक फिल्म की लेडी हवलदार माधुरी दीक्षित टाइप लहज़े में कहा, ज़्यादा स्मार्ट है क्या?(जीहां यही शब्द थे) फिर तिरंगा क्यों बोलते हैं? जी 1930 से पहले हमारे झंडे में तीन रंग की पट्टियों के अलावा कुछ नहीं था। उसके बाद चरखा जोड़ा गया, बाद में आज़ादी के बाद चक्र। लेकिन तब तक ये तिरंगा शब्द लोकप्रिय हो चुका था। यकीन मानिए इस कोरी बकवास को उस हेड ने सच माना। ज़रा भी नहीं 'सोचा'। ज़्यादा पोल खुलने से पहले अपने असली काम पर आ गई। सैलरी, डेज़िग्नेशन और लोकेशन पर नेगोशिएशन किया(जो कि चयन प्रक्रिया में एचआर का असली काम होता है)। ये बात अलग है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी भिखारियों जैसी सैलरी के ऑफर को मंज़ूर करने के बजाय हमने अपने अखबार में काम करना बेहतर समझा। लेकिन तिरंगे के सहारे उन नए-नए बच्चों पर अपना ज्ञान झाड़ने की कोशिश करने वाले हेड्स का क्या लेवल है, ये साबित हो चुका था।
यहां मैने ये अनुभव इसलिए लिखा है सुधि क्योंकि इस फ्रस्ट्रेटिंग एक्सपीरियंस से तुम या तुम्हारें जैसों को खुद को इनफीरियर समझने की गलती नहीं करनी है। इससे आगे जहान और भी हैं......
gud one....bt alwaz remember wo subah kabhi to ayegi...jab talent ki kadra hogi or ye khubsurat models...channel se bahar hongi...beauty wid brain ki maan to aajkal aese hoti hai mano...miss world ka contest ladana ho...khair ye bhi hota to chalta bt sachhai ye hai ki is dukaan par...modelling mai fail hui ladkiyan hi kismat azmati hain...dhobbi ka kutta na ghar ka na ghaat ka wali sthiti hai is bazaar main...
chaliye jiwan k is katu sach ka samna aap ne abhi se kar liya, aisa to jiwan me hote rahta hai par jab yogyata k sath is tarah ka khilwad ho to bardast nahi kiya jana chahiye aapka jajba aapki himmat aur aapka hunar ek din aapko aapke mukam tak avasy pahuchayga lage rahiye aur is jindgi ko salam kariye.
sudhi tuhe salaam ....
salaam zindagi.......ki agli post ka intezaar rahega
sudhi ye tumhare sath hi nahi mere sath bhi ho chuka hai mujhe samjh nahi aata ki hindi channel mai jane par hindi mai nahi likhenge to kya french mai likhenge......yaar aajkal bina approch k kahi kuch nahi hota....best of luck.......
हिम्मत न हारना ........
मीडिया में हर रोज एक मानसिक बलात्कार होता है....
बस तरीका अलग -अलग होता है......
ये न तो अल्प ज्ञानियों को लेते और ज्ञानियों के तो बिल्कुल भी नही.. बेतुके सवाल पूछते हैं...क्योंकि इन्हें जो लोग चाहिये उन्हें किसी इंटरव्यू की जरुरत नहीं पड़ती...पांच पन्नों का फार्म भरवा कर सिर्फ औपचारिकता निभाई जाती है फार्म में पूछते है की अगले पांच साल में क्या बनना चाहेंगे अजी बनेंगे तो तब न जब आप बनने देंगे.. बिल्कुल यही वाक्या उसी संसथान में मेरे साथ भी घटा था ......
akbar ki taraf se chote ko salaam......jio zindagi jee bharke.
article bhaut acha hai....frustrated HR ke fustrated question ki dastan....aapne aap par ful confidence k baad bhi aapko bilkul bekar aur nikaama sabit kar diya gaya...aapko to hr se ye puch lena chaiye tha ki jb aapne job ke liye apply kiya tha to aap se bhi kuch aise pucha gya tha kya??????ek baar to chup ho hi jaati wo.....kher don't loose hope abi bhi kuch aise log hai jo in faltu questions k alawa interviewee ki kabiliat dekhte hai...
suhi ye bahuto ke satth hota hai yarr,magar ye sab chalta rahta hai,ek baat jaroor yaad rakh na ki us hr ki tarah se tum kabhi ki ka job ke liye मानसिक प्रताड़ना या मानसिक बलात्कार mat karna, kyoki ek din tumahra bhi samay aayega.
अंबर के आंगन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गये फ़िर कहां मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई
-सलाम ज़िन्दगी -
बहुत सही आलेख। आज से ठीक एक साल पहले मैंने भी एक ऐसा ही आलेख लिखा था। उस वक्त मुझे खूब धमकियां मिली थीं। कहा जा रहा था कि "मीडिया में काम नहीं करने देंगे" "करियर चौपट कर दिया जाएगा". कुछ लोगों ने कहा कि मैं छात्र के नाम पर कलंक हूं। मैंने कुछ नहीं किया था बस पत्रकारिता की शिक्षा के नाम पर शोषण कर रहे संस्थानों के खिलाफ एक प्रसिद्ध वेबसाइट पर अपनी भावनाएं लिख दी थीं। उस वक्त मुझे कई लोगों ने खूब डराया। कइयों ने कहा कि हर मीडिया संस्थान में हमारे जानने वाले हैं, जहां भी जाओगे... हम देख लेंगे तुम्हें। मुझे पूरा यकीन है कई लोग तुम्हारे साथ भी इसी तरह का व्यवहार करेंगे। डराएंगे...। लेकिन सच से पीछे मत हटना...। जो नौकरी दे नहीं सकता, वो ले भी नहीं सकता....। और ये दो कौड़ी के लोग कौन होते हैं करियर बनाने और खराब करने वाले। हम इन्हें पूछकर इस फील्ड में तो आए नहीं थे...। अगर पत्रकारिता किस्मत में नहीं लिखी होगी तो कोई माई का लाल पत्रकार नहीं बना सकता और ठीक इसी तरह कोई करियर भी नहीं बिगाड़ सकता। राह में रोड़े अटकाने वाले लोग खुद सतही होते हैं, खुद का भविष्य नहीं होता उनका। लगातार सच के साथ रहो... बेबाक रहो...। इस फील्ड में बहुत सारे अच्छे लोग भी हैं। वो आपका काम और प्रतिभा भी देखेंगे। लेकिन जिस तरह के लोगों का आपने जिक्र किया है, उस तरह के लोगों ने मीडिया की ये हालत की है। संस्थानों को भी सोचना होगा कि उनकी चयन प्रक्रिया कैसी है। जिन सवालों को वो पूछा करते हैं, जनरल नॉलेज के वही सवाल गूगल बाबा शून्य दशमलव कुछ क्षणों में प्रदर्शित कर देते हैं। कौन है इस दुनिया में जो सर्वज्ञ है?
बेटे, तुमने नाम नहीं लिखा, लेकिन मैं बता सकता हूं कि वह महामहिम एचआर हेड कौन हैं। दरअसल उनका नाम दिव्या वर्मा है और वे जी में ना सिर्फ एचआर हेड हैं, बल्कि वाइस प्रेसिडेंट एचआर हैं। वे लोगों से इंटरव्यू नहीं लेतीं, उन्हें निपटाती हैं। मजे की बात ये है कि वे हिंदी के एक पूर्व प्रोफेसर की बेटी हैं। हिंदी प्रोफेसर की बेटी होने के नाते उनसे संवेदनशीलता की उम्मीद की जाती है। लेकिन इस मायने में वे बिल्कुल कोरी हैं। हां, तीन कौड़ी के पत्रकारों की पॉलिटिक्स में वे जरूर शामिल रहती हैं। पता नहीं क्यों, सेठ जी यानी गोयल परिवार की उन पर बेहद कृपा है। उनकी एचआर काबिलियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जी की पूरी टीम प्रतिभाशाली लोगों से बिलकुल खाली है। वहां के इनपुट या आउटपुट के लोगों के जनरल नॉलेज का टेस्ट अगर लिया जाय तो इस एचआर हेड की काबिलियत पूरी तरह से सामने आ जाएगी।
कोई बात नहीं बिटिया, तुम जहां हो वहां तुमने अपने को साबित कर दिया है। उस चैनल में जाकर भी लोगों बहुत संतुष्ट नहीं हैं, क्योंकि वहां काम कम और राजनीति ज्यादा है। यूं भी उस चैनल ने केरल के राज्यपाल या सीआरपीसी का फुल फॉर्म ना जानने पर ना जानने कितने ही काबिल लोगों को बाहर निकाल दिया और जिन्हें लिया, उन्हें भी सिर्फ यस और यस यस कहने के लिए...अगर दिमाग लगाया तो बाहर होने की सीधी धमकी...इसलिये जो होता है अच्छे के लिए होता है...
सुधी जी
आपने अपने इंटरव्यू का बिल्कुल वास्तविक चित्रण किया है. समझदार के लिए इशारा काफी है. इन्हीं मैडम से मैं भी दो चार हो चुका हूं. दो बार इंटरव्यू के लिए बुलाया फिर कहते है कि हमारे पास तो कोई पोस्ट ही वेकेंट नहीं है. दो बार में आने जाने के करीब चार हजार को चूना लगा दिया उस अर्ध ज्ञानी दिव्य ज्ञानी शक्ति ने...
Don't get Frustated just because i think that u will learn something from this Incident But remember one thing keep patience and work hard as u always dooooo .
Amit Kulshreshtha
छोटे! मीडिया जैसे इस घिनोने विलन से लड़ने के लिए तुम्हे खूब महनत करनी होगी और अपने को इस मुकाम पर लाना होगा के मीडिया रूपी विलन के किले में घुसते ही लोग लोग खड़े होकर कहें 'सलाम' तुझे ऐ ज़िन्दगी.... मेरी शुभ कामनाएं तुम्हारे साथ है...
HI SUDHI ZEE
JHA AAP GAI THI WAHA KE BARE ME EK BAAT ME BHI BATATA HU WAHA PAR DIVYA GYAN KE ALAWA EK AUR MAHA ANUBHAV HE JO APNE AAP KO DUNIYA KA NUMBER ONE SOUND ENGG. SAMAJTA HE US SOUN MIXER KA NAAM HE ARU JO 15 YRS EXPERIANCE BANDE KO BULATA HE AUR 2 GHANTE INTZAR KE BAD KEHATA HE KI HUM TO 8000 SALERY DENGE KYOU KI HUM FRESHER KO TRANDE KARTE HE.BHAI AGAR EISA HE TO BULATE KYOU HO . UNKI BAKI KAMI PURI KARTE HE UNKE MADRASI BHAI UDAY HR DONO BHAIYO KI MILI BHAGAT KA ME DO BAAR SHIKAR HO CHUKA HU AB TO TOBA ZEEEEEEEEEEEE ,ARU & UDAY NETWORK
Hi,sudhi shabdo ka bhi jeevan hota hai,toh main hr head ko kuch nahi kahunga kyonki agar main ek word bhi likhta hun to shabd mar jayga,lekin yaad rakhna ek saal main 365 din hoty hain aor sabhi ek jaisey nahi hotey,insaan dharti par aney ke baad ye bhul jata hain ki wo bhi ek din mar jayga,lekin jeeney marney ke process main wo apney ko khuda ki khudai khuda samjhaney lagta aur es sonch ke saath hi mar jata main bhagwan se keval yahi keh sakta hun ki bhagwan inko sadbudhi de...kisi ek kaam ke na bananey se aap bilkul nirash mat hona,mafi chaunga hindi likhni nahi aati kosish karunga agli baar hindi main likhun..jityen
jo hota hae aache ke liye hota ha,hr ko us ke hal par chor de,vakat ki intjaar kare.parmatma kare aap jaldi aachi jagah aapna sathan banaye.
ye bhi media course ka hi ek part hai...pata nahin kyon media inst pahle se hi iski training de dete hain...लेकिन नहीं... वे तो नौकरियों के सब्जबाग दिखाएंगे-ताकि उनकी दुकानदारी चलती रही। चलो कोई नहीं...इंटरव्यू कोई कुंभ का मेला नहीं कि 12 साल पर आएगा...और कई संस्थान में एचआर तो बस फोन करने और फार्म भरवाने के लिए रखे जाते हैं-पता नहीं वो कैसा मीडियाहाऊस था जिसने एडिटोरियल के इंटरव्यू में एचआर को पाल रखा है। जरुर कोई रिलेटिव होगा। चिता मत करो।
SACHIN KUMAR
I DONOT KNOW WHAT YOU HAVE DECIDED AFTER THIS..TO COME IN THIS FIELD OR NOT...BEST OF LUCK IN BOTH WAYS. I AM PUTTING YOUR COLUMN IN MY BLOG. I AM NOT WRITING IN HINDI ONLY BECAUSE I HAVE NO ACESS OF THAT FONT.
THANKS.
sudhi yeh jo aaj tumhare saath hua hai media main koi nayi baat nahi hi yahan sab sambandho par tika hua hai.. agar apke contacts hai to koi nahi puchta hai ki apko kya aata hai nahi to aaye din ki yahi kahani hai channel koi bi ho sab ka aalam ek jaisa hi hai..
sudhi yeh jo aaj tumhare saath hua hai media main koi nayi baat nahi hi yahan sab sambandho par tika hua hai.. agar apke contacts hai to koi nahi puchta hai ki apko kya aata hai nahi to aaye din ki yahi kahani hai channel koi bi ho sab ka aalam ek jaisa hi hai..
me kehna chahunga k yha as usual pratibha ka balatkaar hua hai.or haa aj ye bhi samajh aya k hindi me resume banane wale log adhiktar interviews me "kaise kasie log" ghoshit kr diye jate hai.to "kaise kaise log" ghoshit hone se bache.or baki ki buri shaktiyo se bachne k liye bole
"jai mata di"
इस संसार में बुरे लोगों से अधिक अच्छे लोग हैं. तभी तो यह संसार चल रहा है. जीवन एक संघर्ष है. ऐसे कुछ लोगों के व्यवहार से जीवन रुक नहीं सकता. तैयार हो जाओ अगले संघर्ष के लिए. एक दिन आयेगा जब किया गया परिश्रम रंग लायेगा.
शुभ कामनाओं के साथ.
(हरीश चन्द्र सन्सी)
ये मीडिया के ठेकेदार दावा करते हैं कि समाज मैं फैले भ्रस्टाचार को उजागर करेंगे और बलात्कारियों को सजा दिलवायेंगे पर इन हैवानों से समाज को कौन बचायेगा??? इस घटना को शेयर कर आपने साहस का कार्य किया है...
बहुत अच्छा ... कम से कम तुमने ये हिम्मत तो की 3 साल में मैं आज तक ये नहीं कर पाई ...कम से कम अब मुझमें ये करने की हिम्मत है । मुबारका अच्छा पत्रकार बनने की पहली सीढ़ी तुमने चढ़ ली ... आगे भी बहुंच ऊंचाई पर जाओगी लेकिन बी केअरफुल। तुम्हे सेल्यूट करने का मन कर रहा है
बहादुर दोस्त,
आपने जिस बहादुरी से एच आर हैड की हकीकत उजागर की... उसे सलाम। सुधी, कई बार इण्टरव्यूह लेने वाला मानसिक तौर पर आपके आगे अपना कद बौना मान लेता है, तब यही होता है। खैर मानियेगा कि उन्होंने आपसे ये नहीं पूछा कि फलां दिन प्रधानमंत्री ने किस रंग के जूते पहने थे या बजट भाषण में कितने कोमा विराम लगे थे।
वैसे लालाओं की नौकरी में ज्ञान और अनुभव के बगैर लाला कृपा से ऊंचे ओहदों तक पहुंचने वाले ऐसे लोगों से मिले घाव पर खुद ही मरहम लगा लें, अच्छा है। याद रखियेगा...इन्हें इण्टरव्यूह में नम्बर देने का अधिकार कुछ अरसे के लिए भले ही हो, लेकिन किसी की तकदीर लिखने का हक इन्हें या इनके आकाओं को कभी नहीं मिला....हर कोई अपनी तकदीर खुद लिखता है....कई बार इण्टरव्यूह में सामने वाले से उसके मौजूदा संस्थान या पुराने संस्थान की कामयाबी के लिए अपनाई जाने वाली रणनीति तक पूछ ली जाती है। इस बारे में सभी का मार्गदर्शन चाहूंगा कि किसी कम्पनी को अपनी मौजूदा कम्पनी की रणनीति बता देना विश्वासघात नहीं होगा...धन्यवाद ....शुभ
प्रिय शुभ,
आपने सही कहा है कि सवाल कुछ भी हो सकते हैं...जवाब से भी उनका कोई लेना देना नहीं होता... ये तो प्रताडित करने के तरीके भर हैं...
रजत
TUMNE SAHI LIKHA HAI...ISS TARAH KE (HR) ACCHE HUMAN RESOURSE NHI BALKI ACHHE (PR)PERSONAL RESOURCES DHUNDHTE HAI...ISS ARTICLE KE BAAD TUMHE AISE BAHUT LOG MILENGE JO TUMHARE IS ARTICLE KE BARE ME NEGATIVE HI BOLENGE AUR KEHENGE YE TUMNE SAHI NHI KIYA, YE CARRER KE LIYE THIK NHI...PAR MAI KEH RHI HOON JO PATRKAAR APNE LIYE NHI BOL SAKTA VO DUNIYA KE LIYE KYA BOLEGA, YE LOG PATRKAAR KEHLANE KE LAYAK HI NHI HAI..AISE LOGO KO SIRF APNI JOB KI CHINTA HOTI HAI...THEY ARE NOT JOURNALISTS...U HV DONE A GREAT JOB..ALL DA BEST N I M WITH U ALWAYS...!!
sudhi jis tarah se tumne apne experience ko shabdon mein piroya bahut achcha laga padh kar.... u were desperately waiting for that interview... n i remember the day when u got the call... tumhari khushi ka to thikana hi nahi tha... jo bhi hua was bad... but always remember watever happened is i think gud for u... u r a dare girl no one can express truth like this... trust me u deserve more than that channel could give u...
all the best for salaam zindagii....
aapne hr. hed kaa naam to nahi likhaa lekin aapko bheji gai ek tippadi me jo naam bataaya gaya hai mae usse sahmat hun our yhi aaj ke haalat hai aapne jo himmat dikhaai hai uske liye sallm jindagi kuchh log to lagaatar soshad ka sikaar ho rahe hai our majburi vash aavaj nahi uthaa sakte dhamki sirf ek hai ki aapke peechhe naukri karne ke liye kai log laain me lage hai kaam chhod do
sach hi kaha apne...mansik balatkaar ke aise namoone apni zindagi me roj mil jaati hain.
बहुत खूब..क्या कहूं इस लेख को पढ़कर निशब्द हो गया बस मुझे ये भी पता है कि इस लेख के बाद आपको कैसे कैसे फोन आए..मगर डरने की कोई ज़रूरत नहीं है जो पत्रकार खुद अपने लिए आवाज नहीं उठा सकते वो अगर चुल्लू भर पानी में मरना भी चाहेंगे तो वो भी उन्हे नसीब नहीं होगा...आप परेशान मत होइएगा वो आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकेंगे....हम सब आपके साथ हैं।
madam,aapni galti maan kar aapna iq update kare aur phir interview de.agli bar tyari kar ke jana.
madam,aapni galti maan kar aapna iq update kare aur phir interview de.agli bar tyari kar ke jana.
Dunia ek sirfiri HR head ki sanak ki vajah se khatam nahi ho jati. Tum apna safar jaari rakho, manjil jaroor milegi.
वो कहते है न ऐसी घटनाओं से एक चीज़ समझ में आती है कि भविष्य में हमे ऐसा नहीं बनना हैं....
Dear Sudhi,
Whatever happened with you was certainly unfair. As your teacher, I have known you for the past 8 years. How can that HR assess your talents in just 15 minutes. More on. A bright future awaits you.
Dr. Rachana Lucknow