यह जहाज़ कर देगा हिन्दुस्तानी मीडिया को बर्बाद ...EXCLUSIVE


इस चित्र को देखकर आपके दिमाग में हज़ारों प्रश्न इन चित्रों में अंकित प्रश्न चिह्न की भांति खड़े हो गए होंगे, की आखिर क्या है ये जहाजी बेड़ा ? चलिए हम भी जानने की कोशिश करते है कि क्या है ये जहाजी बेड़ा...और आखिर कौन सा ऐसा खतरा है कि सारे जहाज दहशत में हैं।....न जाने क्यों मुझे ये मीडिया क्षेत्र हमेशा से एक समुद्र के रूप में दिखाई पड़ता है जिसमें ये सारे चैनल जहाज के रूप में एक साथ, एक ही मकसद के लिए, कभी न खत्म होने वाले सफर पर निकले हैं। आगे चलकर इस सफर में मकसद भी दो भागों में बंट जाता है...पहला मकसद पैसा कमाना और दूसरा मकसद हमेशा पहले रहना हो जाता है।...जाहिर सी बात है कभी न ख़त्म होने वाले सफर पर निकले हैं तो इसमें कभी किसी जहाज के लिए जश्न का माहौल होता है तो कोई जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है। इस सफर में हर एक जहाज अपने जहाज की रफ्तार बढ़ाने के लिए दूसरे जहाज को डुबोने के लिए तैयार हो जाता है। इस सफर की ख़ास बात यह है कि इसमें एक ब्रांड के जहाज एक साथ एक दूसरे का हाथ थामकर चलते है जैसे....आजतक, दिल्ली आजतक, तेज़...इस तरह के कई उदाहरण आपके सामने हैं.।


..... खैर अब हम मुद्दे की ओर चलते हैं। कुछ बुद्धिजीवियों के हिसाब से हर क्षेत्र की भांति मीडिया क्षेत्र भी आर्थिक मंदी से जूझ रहा है। अगर हमारी राय ली जाए तो हम लोग भी इस बात से सहमत हैं। क्योंकि सबकुछ हम लोगों के सामने आईने की तरह साफ है।.आर्थिक मंदी के इस दौर में किसी जहाज की पतवार टूटी हुई है, तो कोई जहाज दिशाहीन हो चुका है। मकसद की परवाह न करते हुए अब सब जहाज अपने आपको डूबने से बचाने में लगे हुए है। फिर जहाज किधर जाएगा ये तो कप्तान ही निश्चित करेगा । इस माहौल में कुछ कप्तान तो समर्पण कर अपने जहाज की कमान दूसरे कप्तान को सौप चुके हैं और कुछ सौपने की तैयारी में है। जहाजों की इस दौड़ में कुछ कप्तान ऐसे भी है जिन्होने जहाज का बोझ कम करने के लिए अपने ही लोगों को समुद्र में फेंक दिया हैं। क्योंकि शायद उन लोगों को साथ लेकर चलना कप्तान के बजट के बाहर हो रहा हैं।


क्या कभी किसी कप्तान ने समुद्र में फेंके हुए उन लोगों की तरफ मुड़के देखा है की उनके पास तैरकर अपनी जान बचाने के लिए कोई जहाज, नांव या कोई द्वीप भी है या नहीं ? खैर वो लोग क्यों देखेंगे क्योंकि उनका मकसद तो जहाज को आगे बढ़ाना है, न की पीछे देखना। लेकिन समुद्र में गिरे उन लोगों में से कु ही लोग अपनी जान बचाकर दूसरे जहाज पर पहुंच पाते है। कुछ कप्तान अपने जहाज को बचाने के लिए दूसरे जहाज पर लंगर डाले हुए है। लेकिन डूबते संघर्ष करते जहाजों के बीच कुछ नए जहाज आ रहे हैं, इनमें से कुछ जहाज तो ऐसे है जो कि किनारे पर खड़े बस सही समय का इंतजार कर रहे है। कि कब उन्हें अंदर आने का मौका मिले और वो भी इन लड़ाकू जहाजों से दो-दो हाथ कर सके। जी हां हमारा इशारा रिलाइंस ग्रुप की तरफ है जोकि मीडिया जगत के इस समुद्र में अपना टायटेनिक उतारने के लिए तैयार है और जिसकी दहशत आने से पहले ही बाकी जहाजों के कप्तानों के दिलों में छाई हुई है अब देखना ये है कि यह सबसे बड़ा जहाज आर्थिक मंदी के इस दौर को समाप्त कर इस समुद्र पर अपना आधिपत्य स्थापित कर पाएगा या फिर यह भी पुराने टायटैनिक की भांति अपने कप्तान के साथ डूब जाएगा..। .

अपनी राय और शुभकामनाये दे -सलाम ज़िन्दगी पर
6 Responses
  1. बिल्कुल सहीं कहा आपने विपिन..आज सभी कप्तान अपना-अपना जहाज बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं..चाहे तरीका कोई भी हो, अब रिलाइंस ग्रुप से सभी को उम्मीदें है। कुछ ऐसा हो जो वाकई मीडिया रूपी समुंद्र में नई लहर बनकर सामने आए..आपके इस पहले लेख के लिए हार्दिक शुभकामनाएं...


  2. बेनामी Says:

    kyaa baat hia


  3. बेनामी Says:

    लेखन में समझ नहीं आ रहा क्या लिखा है.
    पढ़ने की आदत डालें, सोच औऱ लेखन गहरा होगा


  4. लेख किसने लिखा पता नहीं चल पा रहा है.. लिहाजा, मेरी टिपण्णी सलाम जिंदगी के नाम..

    हे सलाम जिंदगी,
    लेख में वह धार नहीं है जो होना चाहिए. पर विषयवस्तु बढ़िया है. लिहाजा, तुम्हे साधुवाद देना पड़ रहा है. फिर भी मेरी एक हिदायत है..अभिव्यक्ति की तुम्हारी जो शैली है, उसमे निखार लाने का प्रयास करो.

    "जहाजों की इस दौड़ में कुछ कप्तान ऐसे भी है जिन्होने जहाज का बोझ कम करने के लिए अपने ही लोगों को समुद्र में फेंक दिया हैं। क्योंकि शायद उन लोगों को साथ लेकर चलना कप्तान के बजट के बाहर हो रहा हैं। "

    ये पंक्तिया उल्लेखनीय है.

    सलाम जिंदगी को उसका सच का सलाम. पढ़ते रहो..लिखते रहो...


  5. बेनामी Says:

    क्या है मीडिया का सच और कैसे कप्तान अपने ही लोगों के साथ व्यवहार करते है..बहुत ही अच्छे ढ़ंग से आपने लिखा हैं...जानकारी भरे इस लेख को मेरा सलाम...कहिए सलाम जिन्दगी..।


  6. OUDYOGIK GHARANE KABHI MEDIA HOUSE NAHI CHALA PAYENGE..


  • EXCLUSIVE .....:

    salaazmzindagii

    अशोक जी को कोटि कोटि नमन -- सलाम ज़िन्दगी टीम miss u ashok sir

    ASHISH JAIN


    सुधी सिद्धार्थ ..........

    ज़िन्दगी का हिस्सा बनें और कहें सलाम ज़िन्दगी

    सलाम ज़िन्दगी को जाने ..

    मेरी फ़ोटो
    वर्तमान में एक न्यूज़ चैनल में कार्य कर रहा हूँ,पत्रकारिता की शुरुआत जनसत्ता से की .जहा प्रभाष जोशी, ओम थानवी और वीरेंद्र यादव के साथ काम करने का मौका मिला ,उसके बाद पत्रकारिता की तमाम गन्दगी को अपनी आँखों से देखते हुए आज तक में ट्रेनिंग करने का अवसर मिला वहा नकवी जी,राणा यसवंत ,अखिल भल्ला ,मोहित जी के साथ काम किया तक़रीबन ६ महीने वहा काम करने के बाद आँखों देखी से होते हुए एक बड़े न्यूज़ चैनल में एक छोटा सा कार्य कर रहा हूँ या दूसरे शब्दौं में कहूँ तो मन की कोमलताओं को हर रोज़ तिल तिल कर मार रहा हूँ ,लिखने का शौक है ,कुछ अखबारों में सम्पादकीय भी लिखे है ,लेकिन हकीकत यही है की आँखौं से बहते हुए आसूँ इतनी तकलीफ नहीं देते जितनी पलकों पर रुके हुए मोती करते है ,शायद इसीलिए मैं आज जहा हूँ ,वहा से सिर्फ अँधेरा दिखता है ......ASHIISH JAIN