कुछ तू ही इस ज़िन्दगी की कहानी को समझ ले
ये लटकी हुई लाश तो ठेकेदारों के लिए है....
कहां है वो औरत की हिफाजत के ठेकेदार जो हमेशा समाज में नारी के ऊंचे स्थान का दम भरते हैं जो कहते हैं नारी देवी है उसकी पूजा होनी चाहिए, नारी को सबने मिलकर किस स्थान पर पहुंचाया है इस तस्वीर में साफ दिख रहा है। कहां हैं वो लोकतंत्र के ठेकेदार जो हर बार औरत के अधिकारों के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकते हैं......हम क्या समझें, कैसे करें औरत का सम्मान जैसा किताबों में दिखता है या जैसा इस तस्वीर में नज़र आ रहा है......हमें चाहिए जवाब अपनी राय दें.....
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जो एक फूलों का हार है यही औरत
जिद पर आए तो तलवार है यही औरत
जो पुतली बनकर ज़माने को मोड़ सकती
उठे तो मर्द का पंजा मरोड़ सकती है.........मगर औरत हार जाती है तो बस अपने दिल से...यहां अपने पति के गले में फूलों का हार पहनाती ये नई नवेली
दुल्हन जिसने पता नहीं कितने ही सपनो को संजोया होगा...जिसके दिल में एक नई उम्मीद थी नए प्यार और नए परिवार की मगर दोनों हाथों से मुहब्बत को लुटाने वाली औरत को मिलती है तो मौत आखिर क्यों...?
आप इसपर अपनी राय दे...
आशीष और सुधी की पेशकश
बहुत सही कहा आपने...
ब्लॉग के माध्यम से इसी तरह गंभीर मुद्दे उठाते रहिए। आत्म अभिव्यक्तिकरण व जन जागरण के लिए इससे बेहतर माध्यम कोई नहीं
बस शीर्षक पर ध्यान दें...
nice story.
jag jaiye loktantra ke thakedaro.
apkikhabar.blogspot.com
is lekh dwara aapne saamaj me naari utthan ki baat karne wale thekedaaro par accha tamacha mara hai...magar afsos is desh me saikdo dulhane roj bali chadahayi jaati hain
aaj jamana nari ka hai vah kisi se kam n samajhe
आपने मुद्दा तो सही उठाया है लेकिन क्या करें जब समाज की सोच को महात्मा गांधी नहीं बदल पाये...लेकिन ऐसे ही मुद्दे उठाते रहे एक ने एक दिन हमें तुम्हे हम सबको इस बुराईयों से निजात मिलेगी,