हमारी मौत पर आंसू ना बहाए ...आगे आये.........{exclusive}

वक्त सुबह के 3:30.......................
आप भी सोच रहे है होंगे की सुबह के साढे तीन ...............,दरअसल अब हम सोते नहीं है ,ना सिर्फ रात को ना ही दिन में ,ऐसा नहीं की मैं ऐसा अकेला व्यक्ति हूँ जिसकी यह हालत हो ,हम साढे ५५० से अधिक लोग है जो हर पल हर मिनट मर रहे है क्योंकि हम वौइस् ऑफ़ इंडिया के कर्मचारी है ,जो कई वक्त से सोये नहीं है ....पल ,सेकेण्ड ,मिनट और अब महीनो से हम घुट रहे है ,चैनल बंद हो चुका है ,सोचिये ५५० से अधिक लोग अचानक बेरोजगार ,....बाजारवाद और पत्रकारिता में जब सयम टूटता है तो ऐसा ही होता है ...हम आज अकेले खड़े है .कोई हमारे साथ नहीं है ,क्योंकि हम जानते है की यह हिन्दुस्तान है .जहाँ आपके साथ कोई खडा नहीं होता ,हर कोई सोच रहा है की तमाम लश्करों के साथ हिन्दुतान की आवाज़ बन्ने वाला voi आज अपने कर्मचारियों की आवाज़ नहीं सुन पा रहा ...अब हम अतीत बन चुके है ...अचानक ५५० से अधिक लोग बेरोजगार मालिकों की खीचतान में बेनूर हो गए ५५० से अधिक लोग .....हम voi के कर्मचारी है ..यह लेख इसीलिए लिख रहे ऐसा कदापि नहीं है ऐसा नहीं . हम पत्रकारिता की उस शुरुआत पर रोशनी डाल रहे है जो अँधेरी गलियों तक ले जा कर आपको अनाथ बना देती है ,
खैर २० अगस्त को एक बार फिर voiमे उठापटक मची ,अचानक लाइट बंद की गई,admn dep से कहा गया कि क्या हो रहा है यह ? सब लोग जब तक यह चीज़ समझ पाते,यह क्या pcr और जगह जगह ताले लगाये जाने लगे, ,लोग चीखते रहे, चिलाते रहे ,क्या हो रहा है यह ,बाहर पुलिस आ गई,कहा गया कि हम सब सामान उठा कर ले जा रहे थे, इसलिए बाहर पुलिस मगाई गई है, कुछ ही मिनटों मे हिंदुस्तान के तमाम बड़े पत्रकारों का चोरो का तमगा पहना दिया गया ,वक़्त बीतता रहा,लोग रातभर में घर से लोट आये .अपनी माँ पत्नी को घर से दूर जाने के लिये कह दिया ......
अगले दिन मालिको से बातचीत जारी थी.... सब हालातो के लिये जिम्मेदार हमें ठहराये जाने लगा, कहा गया आप बतमीज लोग है , ध्यान रहे हम voi के वही कर्मचारी है जिन्होंने तीन महीने की सेलरी ना मिल पाने के बावजूद मालिकों को कहा कि हम काम करना चाहते है ...हम uncondtinl सपोर्ट देंगे.....चाहे कुछ भी हो जाए हमारा चैनल चलना चाहिए .......दूसरी और रेडिमेड पत्रकार बनाने वाले त्रिवेणी मीडिया संस्थान के बच्चे अब एक नए रूप के लिये तैयार हो रहे थे ,उनको अब पता लगने लगा कि हम लूट चुके है ,जहाँ से आगे का रास्ता बंद हो चुका है ,और अगले दिन ......फैसला हुआ काम नहीं होगा ....मालिक को सामने आना होगा ....उन्हें हमसे बात करनी होगी ,जब तक काम नहीं करेंगे जब तक कोई सामने ना आये दो तीन तक कोई नहीं आया .फोन पर मालिक से बात होती रही ....उन्होंने कहा हम आएंगे लेकिन वो नहीं आये तभी यह क्या जो लोग हमारे साथ कल बड़ी बड़ी बातें कर रहे थे कह रहे थे हम आपके साथ है ,सब भाई है .सब मिलकर लडेंगे ......वो ही लोग बगावत करने लगे ..वो अगले दिन एक नया ग्रुप बनाकार पर्स्ताव के साथ पहुच गए .कहा हम काम करेंगे ..जिन्हें आप और मैं खुद कभी आदर्श मानते थे ,वो विश्वास घाती बनकर voi पर जैन टीवी पर दिखने लगे ,जो कल मालिको को उल्टा सीध बोल रहे थे ,वो अचानक पलट गए ,वो मालिक के साथ चले गए ....हम देखते रहे ...हम नहीं टूटे ..खड़े रहे .......हमारा अपना voi कहीं और से लौंच कर दिया गया गया ,जो लोग टूटे थे वो voi स्क्रीन पर दिखने लगे ......पर हम नहीं हारे ऑफिस में बैठे रहे .उधर मालिको में खीचतान जारी थी ...........कई बार ऐसे मौके भी आये जब रक्षा बंधन पर बहन कि थाली खाली रही .कई लोगो को तो मैं जानता हूँ जिनके पास सुबह के खाने के लिये पैसे तो है पर शाम को क्या होगा वो नहीं जानते ???
वक्त ठहरा हुआ था ,अपनी खामोशी पर वक्त पहली बार शर्मिंदा हुआ ...जैन टीवी से विश्वास घात का अनूठा मिश्रण पेश हो रहा था ...यह कुछ लोगो कि मज़बूरी भी थी ,शायद इसलिए यह मीडिया है ....हम सब ने फैसला किया प्रेस कांफ्रेंस होगी ,लोगो को बुलायेंगे ,,चाहे आजतक हो या फिर ndtv .... फोन किया जाने लगा ,पहला फोन राजदीप सरदेसाई जी को किया गया ,हमने कहा आपका साथ चाहिए ,उन्होंने कहा मेरी सर्ज़री हुई है ,लेकिन हम आपके साथ है ,फिर नकवी जी को फोन किया ...वो हमारे साथ थे ....तमाम मीडिया संस्थाओं को फोन किया गया
...संकेत जबरदस्त थे ...
.हम जीत रहे थे .... सब खुश थे ....अचानक pc को कैंसल किया गया .....जवाब आप नहीं जानते ......दावों और हक्कीकत में अंतर होता है ...पहली बार देखा .......आदर्श मत बनाओ थ पहली बार पता लगा .फिर पता लगा यह बाज़ार है ......हम छटपटाते रहे ,,,,,,लोग सिर्फ दुआ कर रहे थे हर कोई चाह रहा था ...की डील हो जाए ......तभी hr सामने आये उन्होंने कहा की डील फेल हो गई है ,,,,और चैनल बंद किया जा रहा है ,लोगो की आँखों में आंसूं भर आये
ग्रुप एडिटर ने भी इस्तीफा दे दिया
.....जो जैन टीवी से चैनल चला रहे थे वो भी वापस आ चुके थे ...लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी ..बहुत देर ...एक असफल चैनल के ५५० से अधिक लोग... कौन रखेगा ........लोगो की फोनों के ring बजने लगी ..उन लोगो के फोन आये जो कभी फोन नहीं करते थे ,,,सब मज़े ले रहे थे ....पहली बार वो दर्द देखा जिसे दुबारा भगवान् किसी को ना दिखाए ...
क्या हम असफल हो चुके थे .....यह सवाल मेरे मन में बार कौंधता रहा .....बड़े बड़े एडिटर गिल्ड और तमान media brodcasters खामोश रहे ...पल पल की खबरें देने वाले हम लोग खुद खबर बन गए ...और सब देखते रहे ........हर रोज़ हमारे साथ मानसिक शोषण होता रहा ,,,,,हम आज भी खड़े है उसी तर्ज़ पर जिस पर पहले थे ...हमारी छटपतहाट को हर किसी ने नर अंदाज़ किया गया ...अब हम सुर्खिया बन गए है ...हमारी खबरें अब छाने लगी है ...voi तो बंद हो गया .....सरकारी तंत्र और पल पल की खबरें पाने वाले मीडिया के आदर्श शानदार तरीके से खामोश रहे ...फैसला किया गया हम नहीं हारेंगे .....वक्त बीत रहा था ,चैनल को बंद हुए अब २ दिन हो चुके थे ,हम सुबह के ५ बजे ऑफिस पहुचे ......ऑफिस बदला हुआ था .रात को कुछ हुआ था ,ऑफिस अंधेर में था ,क्योंकि रात को admin द्बारा लाइट काट दी गई थी ,लोगो की माथें की शिकन उन्हें बता रही थी की अब हार दिख रही है .हम नहीं हारें ,सब लोग फिर खड़े हुए ,हम नहीं हारेंगे ,बाहर भगवान् साथ नहीं था ,बारिश हो रही थी ,हम फैसला कर चुके थे ,सब लडेंगे ,साथ रहेंगे ,उधर पुरे हिन्दुस्तान में फैली voi की टीम साथ आ गई ,कहा गया हम भी साथ है ,तमाम लोग हमारे साथ कधे से कन्धा मिलाकर खडा रहे ,हमारी संख्या 550 से अधिक थी .हमारा मकसद --मालिक - के घर पहुचना था ,बारिश और तेज़ हो गई ,हम चल पड़े ,पीछे देखा तो जहा तक आँख जाती सिर्फ हम नज़र आ रहे थे ,हम शांत लोग थे ,घर पर पहुच कर शानदार प्रदर्शन किया गया ,पुलिस आ गई ,उन्हें सब बताया गया ,आस पास के लोग घबरा गए ,सब टीवी पर दिखने वाले लोगो की आँखों में आक्रोश और आसुओं को मिश्रण शायद कभी किसी ने नहीं देख होगा ,पडोसी हमारे साथ थे , फैसला हुआ अब मालिक अपने नए ऑफिस में है ,सब वही जाए ,हम तुरत वहीँ पहुच गए ....हर कोई भूखा था ,रात भर ऑफिस में जागे ,फिर सुबह बारिश में सब भीग गए थे ,मालिक ऑफिस में मौजूद थे ,वहा उनसे मिलने की अपील की गई ,वो मिले लेकिन पुलिस के साथ ...साथ में लैटर था ....जिसमे लिखा था ,अगर कोई मेरे ऑफिस के सामने पर्दर्शन करता है तो उसे तुंरत गिरफ्तार करो.....सब हक्क्का बक्का रह गए .......अब वापिस ऑफिस चले आये ....एक असफलता के साथ ....लेकिन हम नहीं हारे ,हम खड़े है अकेले .इतना सब कुछ हुआ और कोई मीडिया साथ नहीं आया ,यह बाज़ार है ,लेकिन यह केसा व्यापार है जहा इसानियत शर्मशार होती है ,मानवता अपने होने पर आंसू बहाती है ,, सभी लोगो और मीडिया कर्मियों से अपील है की वो जहा भी हो हमारे साथ आये ..क्योंकि घर अपना नहीं बल्कि दुसरे का जल रहा था ....हम अकेले है आज भी ....लड़ रहे सच के लिए...........यकीनन ये सब ख़बरें है। कायदे से होना तो यह चाहिए कि हर अख़बार में वॉयस ऑफ इंडिया से जुड़ी ख़बरें छपें। रोज़ाना अपडेट दिया जाए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्रियों पर सवालों की बौछार की जाए और सरकार से पूछा जाए कि जिस तरह जेट एयरवेज के मामले में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने दखल दिया था उसी तरह सूचना और प्रसारण मंत्रालय वॉयस ऑफ इंडिया के केस में दखल क्यों नहीं देता? श्रम मंत्रालय इस मामले में क्या कर रहा है? इतनी बड़ी संख्या में पत्रकारों को बेरोजगार होने से बचाने के लिए सरकार क्या कदम उठाने जा रही है?
आज फिर मां के आँचल से लिपटे का मन कर रहा है ....

बाज़ार और पत्रकारिता में एक बहुत बड़ा अंतर है -हे प्रभु किसी और का घर ऐसे ना जले
सलाम ज़िन्दगी और voi कर्मियों की पेशकश
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6 Responses
  1. बेनामी Says:

    mujhe yegh samajh main nahi aata ki VOI Loss main hone par hi malik na Close kiya hai.... Apane Pocket se paisa kab tak lagayenga.....rahi baat Employ ki to ve bhi jis channel ko chhodkar aaye the.... vaha se jyada payment hi mili thi.... koi bhi businessmain profit main chalane wala Business close (Shut down) nahi karega.... aap chahte hai ki malik pura kangal ho jaye...?


  2. Naveen Singh Says:

    i am not agree with you Mr Anonymous coz what is the guilt of those persons who was doing there job and not getting there salary.It is very unfair and shameful with journalists and media persons.The management is neither giving salary from past 3-4 months nor any kind of official notice, so that they can quit channel in time. at least, channel should not be shut down in such a manner.


  3. बेनामी Says:

    "hume unse hai wafa ki umeed jo nhi jante wafa kya hai"

    kitna ajeeb hai,ki blog jagat par to v.o.i ka zikr dekha gya,par kisi channel ne ye himmat nhi jutaee ki apni he biradri k logon ke dukh ko logon ke saath baant sake,aur rahi baat kisi mantralay se kuch qadam uthane ki to ye sochna bhi bemani lagta hai,agar aisa hota to shayad ab tak kuch kiya ja chuka hota,
    ek ajjeb baat jo maine khud mehsoos ki hai, ki aaj media channels ne kai institute khud ke nikal liye hain,aur lazmi hai ,unhe wahan ke students ko kaam bhi dena hai,aakhir aaj bazarwaad har kahin haavi hai,agar wo apne yahan padhne wale "students" ko apni channels mein kaam nhi dete to "bacchon ke maa baap" ko kya jawab dengein"?
    isliye.shyad jo ho rha hai, abhi ek bangi hai, asli "DRaMA abhi hona BAQI HAI.


  4. बेनामी Says:

    chainal band hone ka karan sirf chanel ka malik hai nahi hai benami ne kuch had tak thik kaha hai is channel ne kailogon ko itni badi salary par rakha jaisi unhone pahle kabhi nahi paayi thi jinhe likhna nahi aataa vo yahan 30-35 hazar rupaye kama rahe hai kuch log to pura din khali bethte hai lekin unki salary bahut hai ..ab koi bi vyakti channel desh seva ke liye to chalata nahi hai ...malik ko bhi profit chahiye ab voi karmi ye javab de ki itna waqt beet jane ke baad bhi channel fayde ki halat me nahi aaya iske piche zimmedaaar koun hai ye ek team work hai jawabdehi to sabki banti hai thodo thodi


  5. anjule shyam Says:

    yahi profetional media ki hakikat hai...........
    hum bhi lehren ke mare huye patyrkar hain...........
    aapka sath na to sarkar degi aur nahi ye media houses .........
    anjule shyam maurya


  6. WOMENINMEDIA Says:

    YAAR PADHTE PADHTE DARD BAR BAR JAG JATA HAI....AANKHON MEIN AANSOON AA GAYE...PAR SAB THIK HI HOGA


  • EXCLUSIVE .....:

    salaazmzindagii

    अशोक जी को कोटि कोटि नमन -- सलाम ज़िन्दगी टीम miss u ashok sir

    ASHISH JAIN


    सुधी सिद्धार्थ ..........

    ज़िन्दगी का हिस्सा बनें और कहें सलाम ज़िन्दगी

    सलाम ज़िन्दगी को जाने ..

    मेरी फ़ोटो
    वर्तमान में एक न्यूज़ चैनल में कार्य कर रहा हूँ,पत्रकारिता की शुरुआत जनसत्ता से की .जहा प्रभाष जोशी, ओम थानवी और वीरेंद्र यादव के साथ काम करने का मौका मिला ,उसके बाद पत्रकारिता की तमाम गन्दगी को अपनी आँखों से देखते हुए आज तक में ट्रेनिंग करने का अवसर मिला वहा नकवी जी,राणा यसवंत ,अखिल भल्ला ,मोहित जी के साथ काम किया तक़रीबन ६ महीने वहा काम करने के बाद आँखों देखी से होते हुए एक बड़े न्यूज़ चैनल में एक छोटा सा कार्य कर रहा हूँ या दूसरे शब्दौं में कहूँ तो मन की कोमलताओं को हर रोज़ तिल तिल कर मार रहा हूँ ,लिखने का शौक है ,कुछ अखबारों में सम्पादकीय भी लिखे है ,लेकिन हकीकत यही है की आँखौं से बहते हुए आसूँ इतनी तकलीफ नहीं देते जितनी पलकों पर रुके हुए मोती करते है ,शायद इसीलिए मैं आज जहा हूँ ,वहा से सिर्फ अँधेरा दिखता है ......ASHIISH JAIN