एक टुकड़ा ख़्वाब का...

एक शाम दिल के दरवाज़े पर मासूम-सी दस्तक
हाथों में कुछ अनजाने सवाल लिए खड़ी थी
आंखों में था अश्कों का समंदर...
और दुपट्टे में छोटी-सी गांठ बंधी थी
बोली बताओ, ये अनजाना सा स्पर्श क्यों अपना-सा लगता है
क्यों अंदर तक उतर जाती है उसकी खुशबू...
क्यों मन माज़ी के ख़्यालों में डूबने लगता है
डरती हूं छण भर की खुशी ज़रूरत न बन जाए मेरी
ये आंसू कह न जाए दास्तां मेरे बचपन की
न चाहकर भी ये नमीं आखों में समाने लगी
अतीत की परछाईं सामने आकर डराने लगी
नहीं मांगती हूं प्यार किसी की डांट का
नहीं चाहिए ख़्वाब किसी से उधार का
जैसे जीती हूं वैसे ही जीने दो...
ख़्वाब नहीं तो क्या उसका एक टुकड़ा ही रहने दो....

सुधी सिद्धार्थ
6 Responses
  1. i am first time visit your blog
    so nice blog & nice post
    खुबसुरत ख्बाब


  2. आप मेरे ब्लोग पर नजरे इनायत करे
    मेरा ब्लोग
    http://photographyimage.blogspot.com/

    आभार ।


  3. एक टुकड़ा
    ख्वाब का...


  4. बेनामी Says:

    nice blog


  5. Unknown Says:

    wards cant define d beauty of this blog


  6. Ashish Nigam Says:

    Amrita Pritam kee raah pe chal padi ho dost ..
    I wud love to see you attaining the zenith


  • EXCLUSIVE .....:

    salaazmzindagii

    अशोक जी को कोटि कोटि नमन -- सलाम ज़िन्दगी टीम miss u ashok sir

    ASHISH JAIN


    सुधी सिद्धार्थ ..........

    ज़िन्दगी का हिस्सा बनें और कहें सलाम ज़िन्दगी

    सलाम ज़िन्दगी को जाने ..

    मेरी फ़ोटो
    वर्तमान में एक न्यूज़ चैनल में कार्य कर रहा हूँ,पत्रकारिता की शुरुआत जनसत्ता से की .जहा प्रभाष जोशी, ओम थानवी और वीरेंद्र यादव के साथ काम करने का मौका मिला ,उसके बाद पत्रकारिता की तमाम गन्दगी को अपनी आँखों से देखते हुए आज तक में ट्रेनिंग करने का अवसर मिला वहा नकवी जी,राणा यसवंत ,अखिल भल्ला ,मोहित जी के साथ काम किया तक़रीबन ६ महीने वहा काम करने के बाद आँखों देखी से होते हुए एक बड़े न्यूज़ चैनल में एक छोटा सा कार्य कर रहा हूँ या दूसरे शब्दौं में कहूँ तो मन की कोमलताओं को हर रोज़ तिल तिल कर मार रहा हूँ ,लिखने का शौक है ,कुछ अखबारों में सम्पादकीय भी लिखे है ,लेकिन हकीकत यही है की आँखौं से बहते हुए आसूँ इतनी तकलीफ नहीं देते जितनी पलकों पर रुके हुए मोती करते है ,शायद इसीलिए मैं आज जहा हूँ ,वहा से सिर्फ अँधेरा दिखता है ......ASHIISH JAIN