अबकी बार खुले में शौच पर वार
8 वर्ष पहले

राहुल की शादी है और जश्न है हिदुस्तान का ... दूसरी तरफ इस चकाचौंध से बहुत दूर एक गावं है जहाँ कुछ देर पहले एक साधू आया था ,पता नहीं क्या हुआ ,वहा अब सन्नाटा पसरा हुआ ,पीछे से एक मां की कराहने की आवाज़ आ रही है जिसकी रुलाइयां है जो रोके रुक नहीं रही ,वो सन्नाटे से आगे निकल कर उस आस्था पर सवाल उठा रही है जिसे वक्त वक्त पर कोई
न कोई साधू उसकी असफलता के साथ जोड़कर उसके पल्लू से बाँध देता है और फिर राम के नाम में विश्वास जताता है, वो एक रुमाल एक लौटा और बीस रूपये बाटता है तभी एक चीख पुकार आती है ,

कई लोग बदहवासी में इधर उधर भागने लगे ,भीड़ अपनों और परायों में भेद नहीं कर पाई और फिर हर तरफ मातम ,लोग बिखरे हुए थे ,देश की संसद के साधुं अपनी सियासत को खीच कर उस मां के खंधे पर हाथ रख रहे है,लेकिन वो आका भी सफलता और असफलता के बीच फस रहे है ,बड़ी बड़ी गाडिया इससे पहले उस जगह कभी नहीं आई ,उस मां ने इतने करीब से इन लोगो को कभी नहीं देखा,एक सवाददाता तभी तल्खी से माइक निकालकर यह बात कहता है,हमने कई सालो से आपको कई खबरें दिखाई है लेकिन आज मैं इन लाशों के बीच
मौजूद है तभी वो सवाददाता अचानक अपनी ptc ख़त्म कर देता है और वो कहता है आज मेरे पास शब्द नहीं है ,उसकी आँखों में आंसू है ,जो दर्शक जानता है ,वो फूट फूट कर रोता है, 

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आस्था ने एक बार फिर कुछ छीन लिया,कईयों का परिवार वीरान हो गया,बस यादें रह गई ,जिन्हें समेटना बहुत मुश्किल है,लेकिन उस बाबा का क्या ? उस मां को अब वो बीस रूपये भी याद नहीं ...जो बाबा ने उसको दिए थे उसे तो अपने बेटे की वो हथेलियाँ याद है जो उस बाबा ने छीन ली ... जो वक्त वक्त पर कई चैनलों पर भी दिखता है,वो बताता है आस्था एक बहुत बड़ी चीज़ है,वो राम का नाम लेता ,और सलाह देता है कर्म करते जाओ... वो भंडारे में पैसे बाटता है दूसरी तरफ टीवी न्यूज़ चैनलों में चहल कदमी है ,लोग माथे पर हाथ रखकर बैठे हुए ,आखिर ये हो क्या हो रहा है,बड़े बड़े न्यूज़ संस्थानों में माथे की नसें फटने वाली बहसे हुई ,ख़बरों पर या शादी पर,हम किस पर बने रहेंगे,यह एक टीसने वाला सवाल था ,ख़बरों और तमाशे में कोई तो अंतर होना चाहिए, तभी रन डाउन से आवाज़ आई ,सर क्या करूँ, क्रपालुं महाराज वाली खबर गिरा दूँ ,लगता है चलेगी नहीं ,यह वही खबर थी जिस पर राहुल गाँधी ,राजनाथ को ज़मीं से जुड़े होने की याद आ गई थी,और इतिहास गवां है इससे पहले इतनी गाड़ियां उन गरीब लोगो के बीच कभी नहीं देखी गई ,और उतर प्रदेश का मतलब तो आप जानते है ...मायावती कह रही है हमारे पास उन लोगों को देने के लिए पैसा नहीं है !तीसरी तरफ एक सर सरी आवाज़ ,कपाने वाला संगीत ....... राहुल महाज़न पत्नी वियोग और चाचा के जाने से आहात से बहुत दूर होकर नुमाइशों में बिजी है , जहाँ कुछ लडकिया और एक लड़का और बहुत सारे कैमरे है, जो चकाचौंध रौशनी के सामने अपनी ज़िन्दगी में किसी को दाखिल करने के लिए आई है ,,राहुल महाज़न दूल्हें के रूप में दुबारा एक शानदार किरदार निभा रहे है कुछ देर बार वो वरमाल पहनाएंगे ,तभी देश की सभी खबरें अचानक गिरने लगी ,सभी चैनल शादी की खबर पर आ गये,बड़े बड़े ग्राफिक्स के साथ राहुल महाजन का स्वयंबर जारी था , 

LIFE IS A JOURNEY AND THE MOMNENT IS LIVED TOGETHER ….LOVE ,JOY ,HAPPINESS,SORROW,PAIN &THE BATTLE FOR TOGETHER ARE THE AMBITION OF HUMAN IT CANNOT BE ACHIEVED ALONE…….
सपनो का अपना महत्व होता है ...आगे जो लेख लिख रहा हूँ ...वो पूरी तरीके से काल्पनिक है ....मेरा कोई भी मकसद नहीं की मैं आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचाऊ ,इसे दिल से लगाकर पढियेगा ...अगर आप स्वर्गीय अशोक उपाध्याय से जुड़े हुए थे ...तो आपकी आँखें भी नम होंगी .. 
मेरे दोस्तों और प्यारे परिवार .....अपना ख्याल रखना ......मैं तुम्हारे साथ हूँ ,आपके ज़ेहन में हूँ ,आपके जज्बात में हूँ मेरे साथ काम करने वाले उस हर व्यक्ति के साथ हूँ जो मेरे साथ किसी न किसी रूप में हर वक्त मौजूद रहा ,अपने परिवार के दिल में हूँ ,मैं अशोक उपाध्याय हूँ,......उस वक्त जो भी हुआ था नहीं मालूम,बस इतना जानता हूँ की अपने बेटे का वो हाथ .....जो मेरे गाल को खीच रहा था,मैं तो बस इतना जानता हूँ की मेरी पत्नी के ....उस सपनो को जो आंसू बन कर उस वक्त मेरे सीने पर गिर रहे थे,मुझे तो बस
इतना मालूम है की मेरे अपनों में हर कोई था,हर कोई चीख रहा था....मुझे मेरी बातों से पहचान रहा था ....मेरे voi का ख्याल रखना दोस्तों,...
तुम ही थे न ..जो मेरे घर से बच्चो को लेकर मेरे पास लाये थे ...शुक्रिया मेरे दोस्त,......अबयज़ मुझे माफ़ करना मैं अंत में तुमसे बात नहीं कर पाया,निशांत तुम वाकई एक अच्छे इंसान हो ,किशोर जी से कहना मैंने आपको देखा ..आपकी रुलाइयां ,voi और मेरे से जुड़े हुए लोगो की वो रुलाइया जो बार baar फूट रही है ,उन्हें शान्त कीजिये ,हमें अभी काफी आगे जाना है ,अपने इस महल को शीश महल बनाना है .....यह सच है की मैं तो बेबस हूँ ,लेकिन यह भी सच है की जो जिंदा है वो भी कमाल करते है ...क्यों आप तो जानते है न !!!!! 
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त,सबको अपनी ही किसी बात पर रोना आया,मैंने भी रोते हुए हर किसी को देखा,मेरी खबरों में वो लोग रोये ......सच यही है ज़िन्दगी से हर कदम पर लड़ता हुआ मैं कभी घबराया नहीं ,शै शै कर ढलती पत्रकारिता के किसी नक्श में मैं भी ढलता हुआ पाता रहा ,मैं देख रहा था ,सब रो रहे थे ,मेरे अपने ,सबके अपने ...हर कोई रोया ,
मेरे मातम का कोई नाम नहीं,लेकिन सच यहीं है की अपने आशियाँ से ही.... मैं जा रहा हूँ ,आप देखते रहना ,उसका ख्याल रखना ,जागते रहना ,तुम्हारी ये रुलाइयां मुझसे देखी नहीं जायेंगी ,मैं नहीं जानता की मेरे बाद क्या समां होगा ..मैं जा रहा हूँ अपनी साँसे अपने साथ लेकर ....आपके साथ बिताये हर उस पल के साथ ...लेकिन मुझे याद रखना अपने ज़हन में .... अंत में मैं इस सपने से बाहर निकल आया ,लेकिन जब जागकर देखा तो वास्तव में जीने वाले कमाल करते है ...सर आज भी मैं वही बैठा हुआ हूँ जहाँ आपने मुझे आकर कहा था ...आशीष बेटा यह HEADLINES काट दो ..पर सर आप ही न आये ....आपको कोटि कोटि नमन ......
miss u ashok sir



ने की, हर तरह का वक़्त मिलता है यहां सौ रुपए घंटा, हज़ार रूपए घंटा, और तो और एक एक मिनट भी..मगर कुछ लोग ऐसे भी है जो सूनी निगाहों से खरीदारों को इस उम्मीद से देखते है की शायद आज का पूरा दिन 80 रूपए में ही बिक जाये..बस बोली लगाईये और वक़्त के खरीदार बन जाईये.....पहले वक़्त गुजरता था मगर आज वक़्त बिकता है.. कभी घंटो गुजर जाते थे
उधड़े रिश्तो को बुनने मे,रूठी उम्मीदों को मानाने मे, छोटी बहन को सताने मे और शाम को माँ के साथ खाना बनाने मे और याद है वो दिन, शहर के नुक्कड़ पर बने पुराने कॉफी हॉउस मे दोस्तों के साथ लड़ना झगड़ना और आंखों मे छोटे छोटे सपने जाना....सपनो को सजाने की चाहत में मैं भी कब इस मंडी की सजावट बन गई पता ही नहीं चला..आज यही एक कोने में खड़ी अपना वक़्त बेच रहीं हूं 9 घंटे बिक चुके हैं और 10 घंटो की अभी भी गुंजाईश है....कोई है खरीदार क्यूंकि ये वक़्त बिकाऊं है...